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एनसीयूआई के प्रशिक्षण कार्यक्रम में मत्स्य सहकारिता को बढ़ावा

एनसीयूआई की शिक्षा विंग एनसीसीई ने हाल ही में नई दिल्ली में मत्स्य सहकारी समितियों के अध्यक्ष और निदेशकों के लिए तीन दिवसीय नेतृत्व विकास कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उनके प्रबंधकीय कौशल को विकसित करना था।

कार्यक्रम में तेलंगाना, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा समेत अन्य राज्यों से लगभग 26 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसका एक उद्देश्य प्रतिभागियों के बीच नेतृत्व-गुण विकसित करना भी था ताकि वे अपनी सहकारी समितियों का संचालन पेशेवर ढंग से कर सकें, एनसीयूआई द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।

विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों के साथ वैज्ञानिक मत्स्यपालन और सहकारी समितियों के कामकाज में आ रही चुनौतियों समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। निदेशक मंडल की भूमिका और जिम्मेदारियों पर भी विस्तार से चर्चा की गयी।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए, डॉ वीके दुबे निदेशक (एनसीयूआई) ने कहा कि मत्स्य क्षेत्र अच्छी कीमतों पर गुणवत्ता वाली मछली भोजन में उपलब्ध कराने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक समिति को आगामी वर्ष के लिए व्यवसाय योजना तैयार करनी चाहिए।

इस मौके पर फिशकोफेड के प्रबंध निदेशक बीके मिश्र ने मतस्य पालन सहकारी समितियों के विकास के लिए फिशकोफेड की भूमिका पर एक अवलोकन प्रस्तुत किया। विशेषज्ञों और संकायों ने मछली पालन के लिए मछुआ सहकारी समितियों और अभिनव तरीकों के लिए योजनाओं और अन्य प्रासंगिक विषय पर सत्र लिया।

सत्र के दौरान सहकारी सिद्धांतों और मूल्यों, प्रभावी नेतृत्व के गुण और कार्य, सहकारी नेताओं के प्रकार और शैली, मत्स्य पालन सहकारी समितियों के लिए बीमा योजनाएं, नेतृत्व कौशल और प्रबंधन, सहकारी समिति की खाता-बही का रखरखाव, सरकार की योजनाएं,  मत्स्य विकास, मछली पालन की आधुनिक तकनीक, आदि विषयों पर चर्चा की गई।

अपनी समापन टिप्पणी में एनसीसीई के निदेशक डॉ वीके दुबे ने कहा कि बेहतर भविष्य के लिए प्रतिभागियों द्वारा प्राप्त ज्ञान का उनकी समितियों में उपयोग किया जा सकता है। एनसीसीई के सहायक निदेशक, प्रियांक सिंह ने कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समन्वयन किया और सभी प्रतिभागियों ने अनूठे कार्यक्रम की सराहना की।

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