
कर्नाटक के बेलगावी जिले के निप्पाणी तालुका में स्थित विविधोद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण कृषि सहकारी समिति न केवल किसानों के जीवन स्तर को सुधारने में अहम भूमिका निभा रही है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक अनुकरणीय उदाहरण बनकर उभर रही है।
जहां देश की अधिकांश पैक्स केवल कृषि और ऋण गतिविधियों तक सीमित रहती हैं, वहीं बोरगांव की यह समिति पिछले 16 वर्षों से एक सफल गारमेंट (वस्त्र निर्माण) इकाई भी चला रही है। खास बात यह है कि इस इकाई में 150 से अधिक स्थानीय महिलाएं कार्यरत हैं, जिनकी कारीगरी आज अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस सहित कई देशों में सराही जा रही है।
इस व्यवसाय से समिति करोड़ों रुपये का वार्षिक राजस्व अर्जित कर रही है। इनके उत्पादों की मांग इतनी अधिक है कि कई बार समय पर अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर पूरे करना भी एक चुनौती बन जाता है।
भारतीय सहकारिता संवाददाता ने हाल ही में बोरगांव स्थित समिति के मुख्यालय का दौरा किया और पाया कि इसका संपूर्ण संचालन कम्प्यूटरीकृत है और कार्य प्रणाली एक पूर्ण बैंक जैसी प्रतीत होती है। 100 करोड़ रुपये से अधिक के कुल कारोबार के साथ यह पैक्स जिले की सबसे सुदृढ़ वित्तीय संस्थाओं में गिनी जाती है।
समिति का नेतृत्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता उत्तम पाटिल कर रहे हैं, जबकि संचालन की जिम्मेदारी सीईओ रवासाहेब तात्यासाहेब चौगुले के पास है।
बातचीत में चौगुले ने बताया, “हम बेलगावी जिले की पहली मजबूत वित्तीय स्थिति वाली पैक्स हैं। निप्पाणी तालुका की 140 PACS में से 32 हाल ही में पंजीकृत हुई हैं, लेकिन हमारे स्तर और प्रदर्शन की बराबरी कोई नहीं कर सकता, यहां तक कि पड़ोसी चिक्कोडी तालुका में भी नहीं।”
उन्होंने आगे कहा, “31 मार्च 2025 तक हमारे पास 56.07 करोड़ रुपये की जमा राशि, 47 करोड़ रुपये के ऋण और कुल कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक था। वित्त वर्ष 2024–25 में हमने 1.55 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया।”
समिति के 3,000 से अधिक किसान सदस्य हैं और यह एनईएफटी, आरटीजीएस जैसी बैंकिंग सेवाओं के अलावा ड्रिप सिंचाई उपकरण, कॉमन सर्विस सेंटर, एंबुलेंस सेवा, स्टेशनरी व पुस्तक विक्रय केंद्र, आरओ जल शुद्धिकरण इकाई जैसी कई सेवाएं भी प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, समिति अपने सदस्यों को लॉकर सुविधा भी देती है।
चौगुले बताते हैं, “हमारी गारमेंट इकाई में महिलाएं केंद्र में हैं। हमें गर्व है कि इस पहल ने न केवल परिवारों को आर्थिक संबल दिया है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भरता बनाया है। हमारे निर्यात की मांग उनकी उत्कृष्ट कारीगरी का प्रमाण है।”
बोरगांव की यह पैक्स वित्तीय सेवा और सामाजिक प्रभाव का ऐसा अद्वितीय समन्वय प्रस्तुत कर रही है, जो ग्रामीण भारत में सहकारी संस्थाओं की भूमिका को नए मायनों में परिभाषित कर रही है।