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सहकारिता में महिलाओं का दर्जा पुरुषों से कम नहीं: एनसीयूआई अध्यक्ष

एनसीयूआई अध्यक्ष दिलीप संघानी

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं सभी को अपनी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें देता हूँ।

यह दिवस प्रतिवर्ष 08 मार्च को महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाने तथा महिलाओं की समानता के अवसरों के प्रति उन्हें जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की विषयवस्तु वैश्विक त्रासदी कोविड- 19 के समय में महिला नेतृत्व में विश्व में एकसमान भविष्य प्राप्त करना रखा गया है। जिसका उद्देश्य महिलाओं एवं लड़कियों दवारा सभी के लिए एक समान भविष्य एवं कोविड महामारी से स्वास्थ्य लाभ में निभाई गई अग्रणी भूमिका को उजागर करना है।

आज विश्व के बाईस देशों में महिलाएं राज्य प्रमुख हैं तथा विश्व की कुल राष्ट्रीय सांसदों में लगभग 24.9 प्रतिशत महिलाएं सांसद हैं। हर्ष की बात है कि वैश्विक स्वास्थ्य कर्मचारियों की कुल संख्या में से लगभग सत्तर प्रतिशत महिलाएँ हैं, जिन्होंने कोविड- 19 की त्रासदी के दौरान स्वास्थ्य जनित कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई है। महिलाओं की नेतृत्व क्षमता को विकसित करना विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्राथमिकता है। महामारी कोविड-19 के इस दौर में सभी पहलुओं व लोगों को एकीकृत कर स्वास्थ्य मुद्दों से निपटने में अहम भूमिका का निर्वहन करना है।

कोविड-19 महामारी के इस दौर में अंतर्राष्ट्रीय सहकारी एलायंस (आईसीए) की लैंगिक समानता कमेटी ने नेतृत्व और कोविड के समय में महिलाओं की सहकारी समितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और उनकी कार्य क्षमता उभारने के लिए एक महीने के लिए सोशल मीडिया अभियान शुरू किया है। आईसीए लैंगिक समानता कमेटी के अध्यक्ष महोदय ने बहुत ही सही कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि
हमें आगे आकर इस तरह की नीतियां और रणनीतियां बनानी चाहिए जिससे कि महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा हो सके और उनका सशक्तीकरण किया जा सके।

संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 2030 के लक्ष्य के अनुसार सतत विकास के सत्रह लक्ष्यों में लक्ष्य संख्या पांच की तर्ज पर लिंग और सामाजिक-आर्थिक समानता को बढ़ावा देने में सहकारिलाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहकारी एलायंस एशिया प्रशांत इंडियन कोऑपरेटिव नेटवर्क फॉर वीमेन ( आईसीएनडब्लू ) द्वारा किए गए अध्ययन एवं सर्वेक्षण अनुसार सहकारी क्षेत्र में प्रत्येक तीन पुरुष सदस्यों के एवज में एक महिला सदस्य कार्यरत है और पिछले कुछ वर्षों में सहकारी क्षेत्रों में लिए जा रहे निर्णयों में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।

गुजरात में डेयरी सहकारी समिति ( अमूल ब्रांड) और श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ सहकारी व्यवसाय में अत्यधिक सफल उदाहरण है जो ना केवल भारत में अपितु पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है । कोविड-19 महामारी के दौरान कई महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों ने स्थानीय सरकारी निकायों के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में खादय किट, सैनिटाइज़र, मास्क और अन्य आवश्यक वस्तुओं का वितरण किया और उसके साथ साथ स्वास्थ्य देखभाल के संबंध में जमीनी स्तर के लोगों हेतु स्वास्थ्य प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए । इसके अतिरिक्त प्रारभिक स्तर पर कोविड से राहत के पश्चात महिला सहकारी समितियां आजीविका पुनर्निर्माण और सेवाओं के संदर्भ में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए एक राष्ट्रीय समिति की स्थापना की है जो कि भारत में महिलाओं की सहकारिता में मौजूदा स्थिति की समीक्षा करती है जिससे कि सहकारी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ सके और उससे संबन्धित योजनाओं और परियोजनाओं का विकास हो सके।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इस अवसर पर मैं सभी महिला सदस्यों के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों से आग्रह करना चाहूंगा कि वे सरकार के साथ मिलकर एक “सहकारी नीति” बनाएँ जिसमें सहकारिता से जुड़े विषयों पर निर्णय लिए जा सकें तथा विशेष रूप से लैंगिक समानता एवं महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।

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