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कोविड-19: नंदिनी ने विश्वस्तर पर भारत के अनुभव को किया साझा

नैरोबी में “अफ्रीका क्षेत्रीय आईसीए वेबिनार” को संबोधित करते हुए भारत की हाई-प्रोफाइल महिला सहकारी नेता नंदिनी आजाद ने कोरोना महामारी के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए इस मौके पर कई तरह की रणनीतियों की वकालत की।

नंदिनी ने कहा कि भारतीय और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/आईसीएनडब्ल्यू के अनुभवों से मालूम हुआ है कि सहकारी संस्थाएं जमीनी स्तर पर लोगों के साथ संपर्क में थीं  और कोरोना वायरस की चुनौती से निपटने में महिलाओं की मदद की हैं।

श्रीमती आजाद ने कहा कि सहकारी संस्थाओं ने स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता अभियान चलाकर महिलाओं में जागरूकता बढ़ायी। उन्होंने कहा कि पुरुषों की तुलना में कम महिलाओं के पास “स्वास्थ्य बीमा” है। परीक्षण और स्वास्थ्य देखभाल के लिए उनके अधिकारों को सुनिश्चित करना आवश्यक है, उन्होंने टिप्पणी की।

अफ्रीका वेबिनार में आइएलओ मुख्यालय (सहकारिता विभाग) से कई वक्ता थे और पूरे अफ्रीका से मुखर महिला नेत्रियाँ भी भाग ले रही थीं। अफ्रीका के कई देशों के सहकारी नेताओं, सरकारी अधिकारियों, शिक्षाविदों और मीडिया ने भाग लिया। डॉ आज़ाद को प्रथम वक्ता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

आईसीए द्वारा संदर्भ निश्चित करने के बाद,  अफ्रीका रीजनल डायरेक्टर – मैडम चियोगे शिफा और वीफैक्ट डायरेक्टर- प्रो. एस्थर गिचरू, चेयरपर्सन, महिला समिति, आईसीए अफ्रीका ने वेबिनार का संचालन किया।

महिलाओं पर कोविड-19 के असर के उन्मूलन के लिए, नंदिनी आज़ाद ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/आईसीएनडब्ल्यू के माध्यम से प्राप्त भारतीय अनुभवों का हवाला दिया और सहकारी समितियों के उपयोग और स्थानीय भाषाओं में बड़े पैमाने पर मीडिया का प्रभावी उपयोग करके पौष्टिकता  (न्यूट्रीशन) तथा प्रतिरोधक क्षमता निर्माण, आजीविका – क्रेडिट ऋण/बचत को लक्ष्यित महिलाओं तक पहुंचाना, प्रजनन और स्वास्थ्य के मुद्दों (दवा, विटामिन-सी, लक्ष्यित गर्भवती महिलाओं, बच्चों सहित) एवं स्वच्छता का ख्याल रखने जैसे उपायों की सलाह दी।

उन्होंने आंकड़ों पर जोर दिया और कहा कि “डेटा की आवश्यकता है जिससे आपूर्ति श्रृंखलाओं, निर्माताओं, कंपनियों में व्यवधानों को दूर किया जा सके और अनौपचारिक क्षेत्र की महिला श्रमिकों को आय, रोजगार, ऋण के कारण हानि और निराश्रय (शहरी और ग्रामीण क्षेत्र – दोनों) की स्थिति में सहायता की जा सके”।

“राजकोषीय और मौद्रिक प्रतिक्रियाओं को डिजाइन कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बोझ उन लोगों पर न पड़े जो इसका वहन नहीं कर सकते हैं अर्थात, महिलाएं; और वसूली का बोझ सबसे गरीब महिलाओं की पीठ पर नहीं आना चाहिए”, उन्होंने जोर दिया।

नंदिनी आजाद को कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय सहकारी निकायों के साथ जुड़े होने का सम्मान प्राप्त है।

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