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वैज्ञानिक एमपी और छत्तीसगढ़ की जनजातीय आबादी की मदद करें: तोमर

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीकेके तीन दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुएकेंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में देश को किसी भी संकट से निकालने की अंतर्निहित क्षमताएं हैं।

कोरोना वायरस महामारी के बावजूद अच्छी फसल और खरीफ की बुवाई के सम्पन्न होने पर संतोष व्यक्त करते हुएतोमर ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि देश के किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था कभी किसी विपत्ति के आगे नहीं झुकी। प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया नारा ‘वोकल फॉर लोकल’(‘स्थानीय के लिए मुखर’) भी ग्रामीण विकास के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है।

तोमर ने कहा कि केवीके को कृषि पद्धतियों पर छोटे और सीमांत किसानों का मार्गदर्शन करना चाहिए जो उन्हें छोटी खेती से भी अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करे। आईसीएआर और केवीके को कृषि विकास के ऐसे क्षेत्रवार मॉडल विकसित करने चाहिए, जो किसानों के लिए उपयुक्त हों। 

तोमर ने जैविक और प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ये न केवल मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैंबल्कि स्वस्थ मिट्टी और स्वच्छ वातावरण के लिए तथा निर्यात बढ़ाने और कृषि को लाभदायक बनाने के लिए भी आवश्यक हैं।

यह बताते हुए कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बड़ी जनजातीय आबादी हैजो पहले से ही रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के बिना प्राकृतिक खेती कर रहे हैंमंत्री ने इस अभ्यास को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए कृषी वैज्ञानिकों का आह्वान किया ताकि जैविक खेती को बढ़ावा मिले और पशु-पालन को लाभदायक बनाया जा सके।

तोमर ने कहा कि हाल ही में लागू अध्यादेश क्लस्टर खेती को बढ़ावा देने और किसानों को अपनी उपज लाभकारी मूल्यों पर बेचने की सुविधा प्रदान करते हैं। कृषि और ग्रामीण विकास के लिए निजी निवेश पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये के “एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड” की घोषणा की है जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।

“10000 किसान उत्पादक संगठनों (एफ़पीओ) के गठन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैंजिन्हें बुवाई से लेकर फसलों की बिक्री तक सरकार द्वारा सहायता दी जाएगी। इस योजना के तहत अधिकतम संख्या में छोटे किसानों को लाने की कोशिश की जानी चाहिए”, मंत्री ने कहा।

इस कार्यशाला में आईसीएआर के महानिदेशकडॉ. त्रिलोचन महापात्रा,कृषि विस्तार के उप-महानिदेशकडॉ. ए के सिंह,आईसीएआर के क्षेत्रीय प्रभारी एडीजी (कृषि विस्तार)डॉ. वी पी चहल,एसएयू के उप-कुलपतियों,आईसीएआर संस्थानों के निदेशकों,पुरस्कृत किसानों, कृषि नवाचारकों, कृषि उद्यमियों, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के केवीके प्रमुखों ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।

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