
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले सप्ताह इंदौर स्थित भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में एक उच्चस्तरीय बैठक में सोयाबीन उत्पादन बढ़ाने और किसानों की समस्याओं के समाधान को लेकर वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों, किसानों और उद्योग प्रतिनिधियों से विस्तृत संवाद किया।
बैठक में चौहान ने कहा कि यह चर्चा कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि किसानों के कल्याण की एक सच्ची कोशिश है। उन्होंने कहा कि भारत की खेती छोटे किसानों की है और इसलिए यहां की चुनौतियां भी विशिष्ट हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों और अधिकारियों से “लैब से लैंड” की अवधारणा पर कार्य करने का आह्वान किया, ताकि शोध का सीधा लाभ खेतों तक पहुंचे।
उन्होंने बताया कि विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत 2170 टीमें गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद कर रही हैं, जिससे कई नवाचार सामने आए हैं।
चौहान ने कहा कि अब रिसर्च किसानों की जरूरतों से तय होगी, और वैज्ञानिक समाधान प्रस्तुत करेंगे, जिन्हें अधिकारी किसानों तक पहुंचाएंगे।
केंद्रीय मंत्री ने अमानक बीज और कीटनाशकों पर सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया और कहा कि किसानों की पहचान में मदद के लिए उपकरण विकसित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सोयाबीन की उपज बढ़ाना, प्रोसेसिंग को बढ़ावा देना और किसानों को उचित दाम दिलाना सरकार की प्राथमिकता है।
उन्होंने बताया कि भारत हर साल 1.33 लाख करोड़ रुपये का खाद्य तेल आयात करता है, जबकि सोयाबीन में जबरदस्त संभावनाएं हैं। इसके लिए जल्द ही एक व्यापक रोडमैप प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने घोषणा की कि केवीके के वैज्ञानिक सप्ताह में तीन दिन किसानों के साथ खेत में रहेंगे, और वे स्वयं भी सप्ताह में दो दिन किसानों के बीच रहेंगे।
कार्यक्रम के दौरान चौहान ने बीज उपचार की नवीनतम मशीन का अवलोकन किया, ट्रैक्टर से सोयाबीन की बुआई की और प्रक्षेत्र संसाधन परिसर का शिलान्यास भी किया।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के कृषि मंत्री मानिकराव कोकाटे, मध्यप्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी, इंदौर के विधायक और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।