इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने 2024 के प्रतिष्ठित “श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान” के लिए प्रसिद्ध कथाकार श्री चंद्रकिशोर जायसवाल को सम्मानित किया। इसके साथ ही इस वर्ष पहली बार शुरू किए गए “श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको युवा साहित्य सम्मान” के लिए सुश्री रेनू यादव को चयनित किया गया। दोनों रचनाकारों को 30 सितंबर 2024 को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में यह सम्मान प्रदान किया गया।
श्री चंद्रकिशोर जायसवाल को सम्मान स्वरूप एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र, और 11 लाख रुपये का चेक प्रदान किया गया, जबकि सुश्री रेनू यादव को प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र, और ढाई लाख रुपये का चेक दिया गया।
इस सम्मान का चयन वरिष्ठ साहित्यकार श्री असगर वजाहत की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा किया गया, जिसमें डॉ. अनामिका, श्री प्रियदर्शन, श्री यतीन्द्र मिश्र, श्री उत्कर्ष शुक्ल, और डॉ. नलिन विकास शामिल थे।
श्री चंद्रकिशोर जायसवाल का जन्म 15 फरवरी 1940 को बिहार के मधेपुरा जिले के बिहारीगंज में हुआ। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की और भागलपुर अभियंत्रण महाविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में सेवाएं दीं।
उनकी प्रमुख कृतियों में ‘गवाह गैरहाजिर’, ‘जीबछ का बेटा बुद्ध’, ‘माँ’, ‘दाह’, ‘पलटनिया’, ‘सात फेरे’ सहित कई उपन्यास और कहानियाँ शामिल हैं। उनके उपन्यास ‘गवाह गैरहाजिर’ पर बनी फिल्म “रूई का बोझ” और कहानी ‘हिंगवा घाट में पानी रे!’ पर आधारित दूरदर्शन फिल्में काफी चर्चित रहीं।
वहीं, सुश्री रेनू यादव का जन्म 16 सितंबर 1984 को गोरखपुर में हुआ। वर्तमान में वह गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
उनकी कृतियों में ‘महादेवी वर्मा के काव्य में वेदना का मनोविश्लेषण’, ‘मैं मुक्त हूँ’ (काव्य-संग्रह) शामिल हैं। उनके लेख और शोध-पत्र कई प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। सुश्री यादव को इससे पहले ‘सृजन श्री’ सम्मान और ‘विरांगना सावित्रीबाई फुले नेशनल फेलोशिप अवार्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।
श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान की शुरुआत 2011 में हुई थी, जो मुख्य रूप से ग्रामीण और कृषि जीवन पर आधारित हिन्दी लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है।