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श्रम सहकारी आंदोलन को पुनर्जीवित करने पर एनसीसीई का फोकस

एनसीयूआई की शिक्षा विंग एनसीसीई ने वेबेक्स के माध्यम से श्रम सहकारी समितियों के लिए तीन दिवसीय ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया।

इस कार्यक्रम का संचालन नेशनल लेबर कोऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनएलसीएफ) के सहयोग से किया गया था। बता दें कि एनएलसीएफ श्रम सहकारी समितियों की शीर्ष संस्था है।

इसमें 35 प्रतिभागियों ने भाग लिया था, जो ज्यादातर राजस्थान और महाराष्ट्र के थे। देश का श्रम सहकारी आंदोलन काफी कमजोर मना जाता है और इससे पुनर्जीवित करने की जरूरत है।

एनसीयूआई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, इसका उद्देश्य सहकारी समितियों के लिए सहकारी मूल्यों और सिद्धांतों, सहकारी प्रबंधन और कानूनी मानदंडों और अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार संकुल पर प्रतिभागियों को उन्मुख करना था।

कार्यक्रम में आत्म्निभर भारत योजनाओं पर जागरूकता फैलाना, व्यावसायिक क्षमताओं को विकसित करना, शासन की भूमिकाओं को समझना, व्यावसायिक विकास योजनाओं और तकनीकों को लागू करने और श्रम को बेहतर बनाने के लिए खातों की उपयोगिता पर केंद्रित था, विज्ञप्ति में दावा किया गया।

ये प्रशिक्षण सत्र प्रख्यात सहकारी विशेषज्ञों, संकायों, पेशेवरों द्वारा संबोधित किये गये थें।

इस मौके पर उचित निवेश कार्यक्रम और विभिन्न योजनाओं को विकसित करने की आवश्यकता के बारे में भी चर्चा हुई। वक्ताओं में से एक ने श्रमिक सहकर्मियों के महत्व को रेखांकित किया। बदलते वैश्विक परिदृश्य में अपने सिस्टम और रणनीतियों को फिर से परिभाषित करना है।

कुछ वक्ताओं ने रोजगार सृजन, सामाजिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

बदलते परिद्दश्य मं सहकारिता की सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में भी चर्चा हुई। अधिकांश वक्ताओं ने सहकारी संगठनों की मूल्यवान विचारधाराओं और प्रथाओं पर पर जोर दिया।

प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम के लिए एनसीसीई के प्रयासों की प्रशंसा की।

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