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यूपी में भी मॉडल का-ऑप अधिनियम लागू हो: सहकार भारती

सहकार भारती उत्तर प्रदेश में मॉडल को-ऑप सोसायटी अधिनियम लागू कराने की योजना बना रही है। इससे पहले संस्था को हिमाचल प्रदेश के सहकारी अधिनियम में संशोधन कराने में सफलता मिली थी

अधिनियम की रूपरेखा सहकार भारती के नेताओं ने तैयार की है। नए अधिनियम का मुख्य आकर्षण सहकारी समितियों में राज्य सरकार की दख़लअंदाज़ी को कम करना है और प्रस्तावित ड्राफ्ट सहकारी समितियों के लिए स्वायत्तता के बारे में भी बात करता है।

सहकार भारती के नेताओं ने पिछले सप्ताह इस संबंध में विचार-विमर्श किया। लखनऊ में भूमि विकास बैंक के मुख्यालय में एक बैठक बुलाई गई थी, जिसकी अध्यक्षता भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक और सहकार भारती के पूर्व अध्यक्ष सतीश मराठे ने की थी।

इस बैठक में सहकार भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मार्कंडेय सिंह, सहकार भारती उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रामाशंकर जायसवाल, महासचिव प्रवीण सिंह जादोन, राजदत्त पांडे और राज्य इकाई के अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

इस अवसर पर, मराठे ने कहा कि ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का अभी भी पालन किया जा रहा है, जो नहीं चाहते थे कि किसानों की स्थिति में सुधार हो। समय के साथ मौजूदा अधिनियम में संशोधन करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने बैंको के स्वयं के स्तर पर वित्तीय संसाधन जुटाने की व्यवस्था लागू करने पर जोर दिया।

मॉडल कोऑपरेटिव सोसाइटीज अधिनियम सहकारी समितियों और उस पर आधारित उद्यमों के स्वैच्छिक गठन का अधिनियम है जो कि स्वयं सेवा और पारस्परिक सहायता तथा प्रबन्धन और उत्थान पर आधारित है तथा जो उसके सदस्यों द्वारा उनकी आर्थिक, सामाजिक उन्नति और उससे सम्बन्धित मामलों में तथा उनसे जुड़ी घटनाओं के लिए है।

यह अधिनियम उत्तर प्रदेश आदर्श सहकारी समिति अधिनियम कहलायेगा। यह सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश राज्य पर प्रभावी होगा। यह अधिनियम प्रदेश सरकार द्वारा राजपत्र में अधिसूचित तिथि से लागू होगा।

इस मौके पर उत्तर प्रदेश सहकारी संघ (पीसीयू) के निदेशक वीर प्रताप सिंह ने अधिकारियों को दिए जाने वाले अधिकारों को भी कम करने की मांग की। सहकार भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष आर पी सिंह बघेल ने सहकारी निबंधक की शक्तियां व अधिकारों पर अंकुश लगाने की बात कही ।

वक्ताओं में से एक द्वारिका प्रसाद गुप्ता ने 97वें संविधान संशोधन के सभी बिंदुओं को आदर्श सहकारी अधिनियम में समाहित करने पर बल दिया। डी पी पाठक ने कहा कि बोर्ड को सचिव को हटाने का अधिकार होना चाहिए।

पाठकों के लिए मसौदा अधिनियम का लिंक नीचे दिया गया है।

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