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सहकारी नेताओं ने की “वन नेशन, वन मार्केट” विधेयक की सराहना

विवादों के मद्देनजर, सहकारी नेताओं ने देश में कृषि के विकास और किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से दो विधेयकों के पारित होने का स्वागत किया है।

ये दो विधेयक “कृषि उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020”; और “मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020” हैं, जो गुरुवार को लोकसभा द्वारा पारित किये गये।

हालांकि पंजाब के किसान इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं और उनका समर्थन करते हुए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। सुश्री कौर ने अपने इस्तीफे की पेशकश करते हुए कहा, “मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानूनों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है।”

कुछ हिस्सों में बिल के विरोध का जवाब देते हुए, प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, कुछ लोग हमारे किसानों को गुमराह करने में लगे हुए हैं। मैं अपने किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि सरकार की खरीद और एमएसपी के प्रावधान पूर्व की भांति जारी रहेंगे। यह विधेयक उनकी आय दोगुनी करने के उद्देश्य से उन्हें अतिरिक्त अवसर प्रदान करता है।”

मोदी का समर्थन करते हुए डॉ अवस्थी ने ट्वीट किया, “मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020”, किसानों की रक्षा और उन्हें सशक्त बनाने के लिए कृषि समझौतों में अद्वितीय विशेषताओं का प्रावधान करता है। आपस में सहमत मूल्य पर विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़ाव। किसानों के लिए स्वतंत्रता। # जयकिसान”।

एनसीडीसी के ट्विटर हैंडल ने लिखा है, “सहकारिता के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। संसद किसान-सशक्तिकरण वाले अध्यादेशों पर बहस करने वाली है ताकि वे कानून बन सकें। सहकारी समितियों के लिए विशाल अवसर।”

कृभको के एम डी राजन चौधरी ने भी ट्वीट कर बिल का समर्थन किया,  “कृषि उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 कृषि उपज के कुशल पारदर्शी और बाधा मुक्त अंतर-प्रांतीय व्यापार को बढ़ावा देगा ताकि किसान अपनी कृषि उपज को प्रतिस्पर्धी दरों पर विकल्पों के साथ कहीं भी बेच सकें।”

उद्योग के दिग्गज मोहनदास पाई ने लिखा, “यह किसान विरोधी कैसे हो सकता है? इससे किसानों को अधिक विकल्प मिलता है। कोई भी किसी किसान को कुछ भी करने के लिए मजबूर नहीं कर रहा है, ठेके की खेती के लिए कोई बाध्य नहीं कर रहा है, बाहर बेचने के लिए कोई बाध्यता नहीं है! किसानों को सशक्त बनाने वाली नीति का विरोध क्यों? क्या आप नहीं चाहते कि किसान बेहतर करें, अधिक कमाएँ? एमएसपी रहेगा!”

लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर इस मुद्दे पर सरकार को सावधान किया, खासकर अकाली दल की मंत्री सुश्री कौर द्वारा इस्तीफे के आलोक में।

स्वामी लिखते हैं, “लोकसभा में बहुमत के बावजूद सरकार एनडीए नामक गठबंधन बनाती है, लेकिन किसानों से संबंधित विषय पर संसद में विधेयक पेश करने से पहले अपने सहयोगियों से परामर्श नहीं करती है? विधेयक को वापस लें और फिर सहयोगियों से सर्वसम्मति के लिए बातचीत करें।”

लोकसभा में पारित होने से पहले विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “किसान अब केवल किसी निर्धारित स्थानों पर अपनी उपज बेचने के प्रतिबंध से मुक्त होंगे, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद जारी रहेगी और राज्य कानूनों के तहत स्थापित मंडियां भी काम करना जारी रखेंगी”।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन और पारदर्शिता आएगी, इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग बढ़ेगी, कृषि विकास में तेजी आएगी, क्योंकि आपूर्ति शृंखला और मूलभूत सुविधाओं के निर्माण में निजी निवेश आकर्षित होंगे, रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद करेंगे।

कृषि उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 एक ऐसे पारिस्थितिक तंत्र का सृजन करना चाहता है, जहाँ कृषक और व्यापारी, ऐसी कृषक उपज के विक्रय और क्रय संबंधी चयन की स्वतंत्रता का उपभोग करते हैं, जो प्रतिस्पर्धात्मक वैकल्पिक व्यापारिक चैनलों के माध्यम से लाभकारी कीमतों को सुकर बनाता है, बाजारों के भौतिक परिसर या विभिन्न राज्य कृषि उपज बाजार संबंधी विधानों के अधीन अधिसूचित समझे गए बाजारों के बाहर कृषक उपज का दक्ष, पारदर्शी और निर्बाध अंतरराज्यिक और अंतःराज्यिक व्यापार और वाणिज्य का संवर्धन करता हो; और इलैक्ट्रानिक व्यापार के लिए सुसाध्य ढांचे का और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का उपबंध करता हो।

इस बिल का लक्ष्य मूल रूप से एपीएमसी मार्केट यार्ड के बाहर अतिरिक्त व्यापारिक अवसर पैदा करना है, ताकि किसानों को अतिरिक्त प्रतियोगिता के कारण पारिश्रमिक मूल्य मिल सके। यह मौजूदा एमएसपी खरीद प्रणाली का पूरक होगा जिससे किसानों को लगातार आय प्राप्त होती रहेगी।

यह निश्चित रूप से “वन इंडिया, वन एग्रीकल्चर मार्केट” बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा और हमारे मेहनती किसानों के लिए सुनहरी फसल सुनिश्चित करने की नींव रखेगा।

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