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नेफेड की एजीएम में तूफान टला

दिल्ली के एनसीयुआई सभागार में आयोजित नेफेड की सामान्य निकाय की बैठक में शेयर पूंजी के मुद्दे पर तूफान आते-आते टल गया। इस बैठक में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों ने एजेंडा नंबर-3 का कड़ा विरोध किया जिसके कारण नेफेड के बोर्ड अधिकारियों को इसे वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। एजेंडा नंबर-3, चालीस हजार से एक लाख रुपये की शेयर पूंजी जुटाने से संबंधित था।

नेफेड ने डॉ. बिजेन्दर सिंह की अध्यक्षता में 55वीं सामान्य निकाय की बैठक का आयोजन किया गया। समारोह में एनसीयुआई के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह, कृभको अध्यक्ष और नेफेड उपाध्यक्ष वी. आर. पटेल, इफको अध्यक्ष एन. पी. पटेल, एनसीसीएफ अध्यक्ष विरेन्द्र सिंह ने शामिल हुए।

डॉ. बिजेन्दर सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में वर्ष 2003-04 और वर्ष 2004-05 के दौरान कई पार्टियों के साथ किए गए कारोबार में हुए वित्तीय घाटे के बारे में जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में वित्तीय घाटा ब्याज राशि को मिलाकर करीब 2000 करोड़ रुपए हो गया है। नेफेड ने उन पार्टियों के खिलाफ सीबीआई और आर्थिक अपराधिक शाखा में शिकायत और दीवानी मुकदमें दायर करवा रखे है इसके अलावा राशि के वसूली के लिए भी नेफेड प्रयासरत है।

उन्होंने कहा कि नेफेड ने कृषि मंत्रालय से वित्तीय समर्थन देने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था ताकि वर्तमान वित्तीय संकट से छुटकारा पाया जा सके। इस प्रस्ताव में लंबे समय का ऋण लेने के लिए 1200 करोड़ रु. की बैंक गारंटी और 9 वर्ष के लिए ब्याज मुक्त 920 करोड़ रु. की राशि दी जानी है जिसमें भारत सरकार की अंशपूंजी के रुप में 42.50 करोड़ रु. भी शामिल है। किंतु सभी अंशधारकों से समान रुप से राशि छोड़ने के संबंध में एसबीआई कैप्स द्वारा संशोधित प्रस्ताव जिसमें सरकार को कम राशि देना पड़ेगी। यह प्रस्ताव सरकार के सक्रिय विचाराधीन है।

उन्होंने कहा कि नेफेड के निदेशक मण्डल ने भारत सरकार की शर्ते और निंबधन पहले ही मान लिए गए है जिसके तहत नेफेड में भारत सरकार का 51% का भाग होगा। नेफेड ने भारत सरकार को आश्वासन दिया कि वह सरकार की आशाओं पर खरा उतरेगा और उन्हें विश्वास है कि भारत सरकार की सहायता और अपने कार्यों में सुधार करते हुए नेफेड अपनी पुरानी छवि को प्राप्त करेगा और किसानों की बेहतर सेवा में जुटा रहेगा।

सदस्य संघ और समितियों द्वारा दी जाने वाली अतिरिक्त अंशपूंजी के मामले में डॉ. सिंह ने कहा कि सदस्य संघ और समितियों द्वारा उठाई जा रही कठिनाईयों को देखते हुए निदेशक मण्डल ने विचार किया है कि अगले निदेशक मण्डल के गठन की प्रक्रिया आरंभ होने तक सदस्य संघों और समितियों को अतिरिक्त अंशपूंजी जमा कराने का समय बढ़ा दिया जाए।

वर्ष 2003-04 और वर्ष 2004-05 के दौरान कई पार्टियों के साथ किए गए कारोबार के संदर्भ में दो जांच रिपोर्टों के आधार पर सहकारी समितियों के केंद्रीय पंजीयक ने कुछ निदेशकों, पूर्व निदेशकों, कानूनी उत्ताधिकारियों, कर्मचारियों, पूर्व कर्मचारियों और भारत सरकार की प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों के विरुद्ध बहुराज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम 2002 की धारा 83(2) के अंतर्गत रिकवरी के आदेश दिए गए थे। इस मामले में वर्तमान में केंद्रीय पंजीयक ने सभी फैसलों को रद्द करके इस पर पुनः विचार करने को कहा है, डॉ. सिंह ने कहा।

डॉ. सिंह ने नेफेड के वर्तमान घाटे को देखते हुए सदस्य संघ और समितियों से इस वर्ष भी अपना डेविडेंड छोड़ने को कहा है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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