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इंडियन कॉपरेटिव के पाठकों की संख्या 20 लाख हुई

अंतिम दो महीने इंडियन कॉपरेटिव डॉट कॉम के लिए शानदार रहा है। इन महीनों में इसके पाठकों की संख्या दोगुनी हो गई है। जबकि लगभग 10 लाख लोग अप्रैल के महीने में पोर्टल पर गए, जून में यह आंकड़ा बहुत ज्यादा लगभग 19.72 लाख हो गया हैं।

इसका मतलब यह है कि 80 लाख से अधिक लोग दैनिक साइट पर गए। यह आंकड़ा एक समाचार पोर्टल के लिए मामूली नही है।

पाठकों की संख्या में इस लंबी छलांग का कारण क्या है? हमारी संपादकीय टीम ने इस सवाल का जवाब ढुंढने की पूरी कोशिश की है लेकिन अभी तक इसका कोई संतोषजनक जवाब नही मिल सका है।

यह सच है कि भारतीय सहकारी एक नए अवतार में अप्रैल के महीने में शुरू किया गया था जब पाठकों का ग्राफ ऊपर उठा था। सहकारी कॉफी शॉप और सहकारिता पर प्रश्न के रूप में नई सुविधाओं को जोड़ा गया। अतिरिक्त सुविधाओं के जरिए लोग अपने विचार आसानी से पेश कर सकते है।

सहकारी प्रश्न, श्री आईसी नाईक की मदद से उपलब्ध कराया जा रहा है, यह इतना लोकप्रिय हो गया है कि एक दर्जन से अधिक प्रश्न हर दिन हमारे समाचार डेस्क पर आते है। श्री नाईक एक सेवानिवृत्त चार्टर्ड एकाउंटेंट है, जो वैचारिक संकल्प के कारण ही सहकारी आंदोलन की मदद कर रहे है।

विशेष मुख पृष्ठ पर आईवायसी 2012 के लिए भी लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रिया दर्ज की गई है। हमारे खबरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, और इन समाचारों को विशेष रूप से इस अवसर के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहकारी एलायंस के द्वारा बनाई गई हब में प्रदर्शित किया जा रहा है। यह आश्चर्य नहीं होगा अगर इंडियन कॉपरेटिव समाचार हब के लिए सबसे बड़ा खबर का स्रोत बन जाए।  

पोर्टल, सहकारी क्षेत्र के लिए एक मंच मुहैया करने और सहयोग की सुंदर भावना को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से स्थापित की गई है। इसे पुनर्जीवित करने के लिए साहस, दृढ़ विश्वास और लोगों से आर्थिक समर्थन की जरुरत है।

हम अपने प्रायोजकों को धन्यवाद देना चाहते हैं, जिनकी मदद इंडियन कॉपरेटिव पोर्टल के लिए काफी अहम रही है । इफको, अमूल, सारस्वत बैंक और कॉस्मॉस बैंक इस सूची में प्रमुख है। इंडियन कॉपरेटिव ने जब भी मुद्दों को उठाया है पूरी आजादी से उठाया है लेकिन इन प्रायोजकों को कभी कोई दिक्कत पेश नही आई है।

इंडियन कॉपरेटिव की सफलता उस सहकारी आंदोलन के लिए एक श्रद्धांजली है जिसकी नींव मानव सभ्यता का विकास ही है। सहकारी समितियों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष वास्तव में इस प्रयास के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन  है।

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