कृषि सहकारी संस्था नेफेड और बैंकों के बीच हुए अभूतपूर्व समझौते पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नेफेड के उपाध्यक्ष और बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने कहा कि बैंकों का एकमुश्त कर्ज चुकाकर नेफड अब नई बुलंदियों को छूएगा। सुनील बैंकों के साथ हुए मोल भाव करने वाली टीम का हिस्सा थे।
उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए व्यक्तिगत जीत है क्योंकि नेफेड ने बैंकों का कर्ज चुकाकर बिहारी नाम के ऊपर से एक धब्बा हटाया है और मैं इसका गवाह रहा। वे इस बात का जिक्र नेफेड के पूर्व अध्यक्ष अजित सिंह के संदर्भ में कर रहे थे क्योंकि अजित के कार्यकाल के दौरान ही नेफेड ने कई संदिग्ध व्यापारीयों के साथ करार किया था जिसके कारण नेफेड भारी नुकसान का शिकार हुआ। बिहार के रहने वाले अजित सिंह एक कद्दावर और मजबूत सहकारी नेता थे।
कहा जाता है कि कई लोगों ने अजित सिंह को वित्तीय अनियमितताओं के लिए उकसाया और गुमराह किया था। कइयों का मानना है कि इसी घटना के कारण उनकी मौत भी हुई क्योंकि अपने आखिरी दिनों में नेफेड की स्थिति को सुधारने के लिए अजित सिंह बैचेन हो गये थे। उन्होंने देशभर में नेफेड के कर्जदारों के घरों के कई चक्कर भी लगाए लेकिन वे असफल रहे, बेईमान आखिर किसकी सुनते हैं, उनके दोस्तों ने बताया।
नेफेड का 1800 करोड़ रुपये का ऋण 3,000 करोड़ रुपये का हो गया। यूपीए सरकार ने इसे बचाने की कोई कोशिश नहीं की और आखिरकार एनडीए सरकार ने इसके पुनरुद्धार में रुचि दिखाते हुए कदम उठाए। एक कांग्रेसी होने के बावजूद नेफेड के पूर्व अध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात के लिए प्रशंसा की थी।
नेफेड के उपाध्यक्ष दिलीप संघानी ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है। कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ निकटता के कारण चंद्रपाल और बिजेन्द्र की जोड़ी ने संघानी को नेफेड का उपाध्यक्ष बनाया था। उपाध्यक्ष बनने के बाद संघानी ने नेफेड के मामले में नरेंद्र मोदी से कई बार चर्चा की। और इसके साथ ही मंत्रालय के अधिकारियों ने कृषि सहकारी संस्था को कैसे पुनर्जीवित किया जाना चाहिए इस पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया।
नेफेड को सरकार से खरीद के आर्डर मिलने शुरू हो गए और इसके चलते संस्था को मुनाफा हुआ। आज नेफेड ने अपनी कमाई के दम पर बकाया राशि का निपटारा कर दिया है। हां इतना जरूर है कि इसे दिल्ली की लॉरेंस रोड की संपत्ति गिरवी रखनी पड़ी। लेकिन अाज नेफेड सारे कर्जों से मुक्त है, बेलआउट पैकेज का मुद्दा भी अब अप्रासंगिक हो गया।
ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि नेफेड को राज्यों में मिड-डे-मील का कार्य चलाने का काम दिया जाएगा। भारतीय सेना भी अपनी कैंटीन के लिए नेफेड की सेवाएं लेने पर विचार कर रही है, सुनील ने बताया। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने नेफेड को अनाज की खरीदी करने का प्रस्ताव भी दिया है जो इसे 180 करोड़ रुपये की कमाई कराने में मदद करेगा, उपाध्यक्ष सुनील सिंह ने बताया।
सुनील ने कहा कि नेफेड भारत सरकार के तेलहन, दलहन, कोपरा और कपास के लिए एमएसपी का कार्यान्वयन करके देश के किसानों को सेवा प्रदान करती है। और पिछले तीन सालों में उसने पीएसएस के तहत एमएसपी पर दालों की खरीद का रिकॉर्ड तोड़ा है।
बिस्कोमॉन के अध्यक्ष ने नेफेड को मदद करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को भी धन्यवाद दिया। “राधाबाबू ने हर बिहारी को इस कलंक से छुटकारा दिलाने में मदद की है और इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं”, उन्होंने कहा।