
सहकारिता के माध्यम से टैक्सी ड्राइवरों को सशक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए ‘सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड’ का गठन किया गया है, जिसका पंजीकरण इस माह बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम के तहत औपचारिक रूप से किया गया है। फिलहाल इसका कार्यक्षेत्र दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र रहेगा।
इस पहल को नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनसीडीसी) द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है और इसमें अमूल, नेफेड, नाबार्ड, इफको, कृभको, एनडीडीबी और नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (एनसीईएल) जैसी देश की सात प्रमुख सहकारी संस्थाएं अहम भूमिका निभा रही हैं।
‘सहकार टैक्सी’ उबर और ओला जैसे ऐप-आधारित मॉडल पर काम करेगी, लेकिन इसका मुख्य अंतर यह होगा कि यह प्लेटफॉर्म टैक्सी चालकों के स्वामित्व और संचालन में रहेगा। यह सहकारी मॉडल न केवल लोकतांत्रिक और समावेशी होगा, बल्कि लाभ का निष्पक्ष वितरण भी सुनिश्चित करेगा।
सहकार टैक्सी के संचालन को प्रारंभिक रूप देने के लिए फिलहाल एक अंतरिम बोर्ड का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता एनसीडीसी के उप प्रबंध निदेशक रोहित गुप्ता कर रहे हैं। इस बोर्ड में एनडीडीबी से वी. श्रीधर, नेफेड से तरुण हांडा, नाबार्ड से नवीन कुमार, इफको से संतोष शुक्ला और कृभको से एल. पी. गॉडविन शामिल हैं।
सहकार टैक्सी को 300 करोड़ रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी के साथ स्थापित किया गया है, जिसमें से 80 करोड़ रुपये की प्रतिबद्ध राशि इन आठ संस्थाओं द्वारा दी जा रही है, हर संस्था 10 करोड़ रुपये का अंशदान दे रही है। जानकारी के अनुसार, संचालन अगले छह महीनों में शुरू होने की संभावना है, क्योंकि डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और सॉफ्टवेयर विकास पर कार्य प्रगति पर है।
इस मॉडल की विशेषता यह है कि टैक्सी चालक सीधे सदस्य और सह-स्वामी होंगे। इससे न केवल आय में पारदर्शिता आएगी, बल्कि वे निर्णय प्रक्रिया में भी भाग ले सकेंगे। तकनीकी मानकों को सुनिश्चित करने के लिए सहकार टैक्सी देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों, जैसे कि आईआईआईटी बेंगलुरु, के साथ भी सहयोग कर रही है।
गौरतलब है कि इस विचार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने प्रस्तुत किया था। उन्होंने सुझाव दिया था कि एक ऐसा सहकारी टैक्सी प्लेटफ़ॉर्म बनाया जाए, जिसमें दोपहिया, ऑटो, टैक्सी और चारपहिया वाहन, सभी का पंजीकरण एक ही मंच पर हो सके और उससे होने वाला लाभ सीधे चालकों तक पहुंचे।
“सहकार से समृद्धि” के मंत्र पर आधारित यह पहल न केवल टैक्सी चालकों की आजीविका, आय और जीवन स्तर में सुधार लाएगी, बल्कि देशवासियों को सुलभ, किफायती और भरोसेमंद परिवहन सेवाएं भी प्रदान करेगी।