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वर्मा: नई सहकारी नीति से आंदोलन होगा मजबूत

केंद्रीय राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने सहकारिता नीति पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में कहा कि इन प्रयासों के परिणामस्वरूप नई राष्‍ट्रीय सहकारिता नीति का सृजन होगा जो सहकारिता प्रक्षेत्र के विकास को तीव्र गति प्रदान करते हुए सहकार से समृद्धि के मंत्र को साकार करने में सहायक सिद्ध होगी।

पाठकों को याद होगा कि 12-13 अप्रैल,2022 को नई दिल्ली में सहकारिता नीति पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सम्मेलन का उद्घाटन गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने किया। राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन दिवस के दिन दो दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव तथा संयुक्त सचिव, 36 राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और रजिस्ट्रार सहकारिता 40 सहकारी तथा लगभग 40 सहकारी और अन्य प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों एवं सहकारी संगठनों के प्रमुख और  सदस्यों ने भाग लिया।

इस सम्मेलन को छह महत्वपूर्ण विषयों में संरचित किया गया था जिनमें न केवल सहकारी समितियों के पूरे जीवन चक्र को शामिल किया गया था बल्कि उनके व्यवसाय और शासन के सभी पहलुओं को भी शामिल  समेटा  गया था। पैनल चर्चा निम्नलिखित विषयों पर आयोजित की गई थी:

  1. वर्तमान कानूनी ढांचा, नियामक नीति की पहचान, संचालन संबंधी बाधाएं और उन्हें दूर करने के लिए आवश्यक उपाय, जिससे व्यापार करने में आसानी हो और सहकारी समितियों एवं अन्य आर्थिक संस्थाओं को एक समान अवसर प्रदान किया जा सके।

इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. जी. आर. चिंताला, अध्यक्ष, नाबार्ड और श्री टीवीएसएन प्रसाद, अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार के साथ श्री. बी एल मीणा, अपर. मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सह-अध्यक्ष थे ।

  1. सहकारी सिद्धांतों, लोकतांत्रिक सदस्य नियंत्रण, सदस्यों की बढ़ती भागीदारी, पारदर्शिता, नियमित चुनाव, मानव संसाधन नीति, अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं का लाभ उठाने, खाता रखने और लेखा परीक्षा सहित शासन को मजबूत करने के लिए सुधार।

इस सत्र की अध्यक्षता श्री. मनोज आहूजा, सचिव, कृषि और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार ने किया तथा श्री मनिंदर सिंह, अपर मुख्य सचिव (सहकारिता), असम सरकार के साथ श्री. अनूप कुमार, अपर मुख्य सचिव (सहकारिता), महाराष्ट्र सरकार ने सत्र की सह-अध्यक्षता की।

  1. बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, इक्विटी आधार को मजबूत करने, पूंजी तक पहुंच, गतिविधियों का विविधीकरण, उद्यमिता को बढ़ावा देने, ब्रांडिंग, विपणन, व्यवसाय योजना विकास, नवाचार, प्रौद्योगिकी अपनाने और निर्यात को बढ़ावा देकर बहु ​​सहकारी जीवंत आर्थिक संस्थाएं बनाना।

इस सत्र की अध्यक्षता श्री उपेंद्र प्रसाद सिंह, सचिव, कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार और श्री नागेंद्र नाथ सिन्हा, सचिव, ग्रामीण विकास, भारत सरकार के साथ श्री शैलेश कुमार सिंह, विकास आयुक्त, एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार ने इस सत्र की सह अध्यक्षता की थी।

  1. प्रशिक्षण, शिक्षा, ज्ञान साझा करना और जागरूकता निर्माण, जिनमें सहकारी समितियों को मुख्यधारा में लाना, प्रशिक्षण को उद्यमिता से जोड़ना, महिलाओं, युवा और कमजोर वर्गों को शामिल करना शामिल है।

इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, सचिव (डेयर) ने किया।

  1. नई सहकारी समितियों को बढ़ावा देना, निष्क्रिय लोगों को पुनर्जीवित सक्रिय करना, सहकारी समितियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, सदस्यता बढ़ाना, सामूहिकता को औपचारिक बनाना, सतत विकास के लिए सहकारी समितियों का विकास करना, क्षेत्रीय असंतुलन को कम करना और नए क्षेत्रों की खोज करना।

इस सत्र की अध्यक्षता श्री के वी शाजी, उप प्रबंध निदेशक नाबार्ड ने की।

  1. सामाजिक सहकारिता को बढ़ावा देना और सामाजिक सुरक्षा में सहकारी समितियों की भूमिका।

इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. अशोक दलवई, सीईओ, एनआरएए, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने की।

 

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