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हिंदू सहकारी बैंक पर आरबीआई का शिकंजा पड़ा ढीला

भारतीय रिज़र्व बैंक ने पंजाब के पठानकोट स्थित हिंदू सहकारी बैंक लिमिटेड पर जारी दिशा-निर्देशों को वापस ले लिया है।

इस खबर ने सहकारी बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े नेताओं के बीच उत्साह का माहौल उत्पन्न कर दिया है। नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने कहा कि यह एक अच्छी खबर है और इस तरह की खबरों को मीडिया में सुर्खियां बनना चाहिए।

एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरबीआई ने कहा, “बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 13 मार्च 2019 के निदेश डीसीबीएस.सीओ.बीएसडी-IV सं.डी-9/12.28.311/2018-19 के माध्यम से हिन्दू को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेडपठानकोटपंजाब को निदेश जारी किए थे।

इन निदेशों को समय-समय पर संशोधित किया गया तथा इसे पिछली बार 24 अक्टूबर 2021 तक बढ़ाया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस बात से संतुष्ट होकर कि जनहित में ऐसा करना आवश्यक हैबैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए की उपधारा (2) के तहत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतदद्वारा दिनांक 14 अक्टूबर 2021 से हिन्दू को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेडपठानकोटपंजाब को जारी किए गए सर्व समावेशी निदेशों को वापस लिया जा रहा है। इच्छुक जनता के अवलोकन हेतु निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर में प्रदर्शित की गई है”, विज्ञप्ति के मुताबिक।

लेकिन अन्य सहकारी बैंक इतने भाग्यवान नहीं थेजिन पर रिजर्व बैंक ने जारी निर्देश की अवधि में विस्तार किया है। इनमें से एक जालना (महाराष्ट्र) में स्थित मंथा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस बैंक पर निदेशों को दो 17 अक्टूबर, 2021 से लेकर 16 दिसंबर, 2021 तक यानि दो महीने की अवधि के लिए आगे बढ़ा दिया है।

इसके अलावामुंबई स्थित सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर जारी दिशा-निर्देशों को 16 जनवरी 2022 तक बढ़ा दिया है।

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