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राष्ट्र निर्माण में सहकारिता की भूमिका अहम: रमेश वैद्य

सहकार भारती ने पिछले सप्ताह नई दिल्ली स्थित एनसीयूआई सभागार में अपनी दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया। इस बैठक का उद्घाटन सहकार भारती के अध्यक्ष रमेश वैद्य ने किया और देश भर से आये 100 से अधिक पदाधिकारियों ने इसमें शिरकत की।

बैठक में कई प्रस्ताव पारित किये गये, जिसमें इस साल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सहकार भारती के अगले राष्ट्रीय अधिवेशन का प्रस्ताव भी शामिल था।

इस अवसर पर सहकार भारती के अध्यक्ष रमेश वैद्य, राष्ट्रीय महासचिव उदय जोशी, राष्ट्रीय संगठन सचिव संजय पचपोर और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए प्रतिभागियों से सुझाव मांगा।

इसके अलावा, सहकार भारती के संरक्षक ज्योतिंद्रभाई मेहता, डी एन ठाकुर समेत अन्य ने बैठक में भाग लिया।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में वैद्य ने कहा, “कोविड-19 के कारण, हम अपनी कार्यकारिणी की बैठक को आयोजित करने में विफल रहे और अब हम दो साल के अंतराल के बाद दिल्ली में पहली बार बैठक आयोजित कर रहे हैं”।

वैद्य ने जोर देकर कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के पीएम नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा करने में सहकारी समितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। “हमें सहकारी आंदोलन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करना है”, उन्होंने कहा।

इस अवसर पर अपने भाषण में उदय जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार ने कई घोषणाएं की हैं, जिसका सहकारी क्षेत्र पर आने वाले समय में सकारात्मक प्रभाव होगा। “सरकार सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए अग्रसर है। इसके अलावा, सहकार भारती ने सरकार से सहकारिता क्षेत्र के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने का आग्रह किया है।

कई प्रतिभागियों ने हर राज्य में सहकार भारती का कार्यालय स्थापित करने की मांग की। बैठक के दौरान अन्य कई मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने और प्राथमिक कृषि समितियों (पैक्स) और प्राथमिक दुग्ध समितियों को राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली का हिस्सा बनाना शामिल था।

राज्य सहकारी बैंकों के साथ डीसीसीबी के विलय का मुद्दा भी बैठक में चर्चा का विषय था।

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