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एनसीयूआई का काम प्रशिक्षण देना है न की लाभ कमाना: सीई

भारतीयसहकारिता से फोन पर बात करते हुए, एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन सत्यनारायण ने एनसीसीई के माध्यम से अधिक पैसा कमाने के आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

बता दें कि “भारतीयसहकारिता” द्वारा प्रकाशित एक खबर जिसका शीर्षक “वीएलई के सहयोग से एनसीसीई दे रही है सहकारी आंदोलन को बल” था, जिसमें एनसीसीई के हेड डॉ वी के दूबे का कथन था कि “विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर को प्रशिक्षित करके एनसीसीई लाखो कमा रही है और वो दिन दूर नहीं जब हम इससे करोड़ो कमाएंगे”।

हालांकि सीई ने कहा कि खबर ठीक थी, बस इस खबर ने ऐसी धारणा पैदा कर दी कि सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था एनसीयूआई पैसा कमाने में जुटी है।

सीई ने आगे कहा कि एनसीयूआई मुख्य रूप से देश के सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने के लिये सहकारी नेताओं को प्रशिक्षण दे रहा है और संस्था का उद्देश्य पैसा कमाना नहीं है।

बाद में, एनसीसीई के निदेशक वी के दुबे ने भी इस संवाददाता को फोन करके उस खबर के लिए धन्यवाद दिया और हमसे इस तथ्य को प्रकाशित करने का अनुरोध किया कि प्रतिभागियों से प्रशिक्षण के दौरान ली जाने वाली छोटी फीस प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन पर खर्च की जाती है। दुबे ने कहा, “हमने शायद ही इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों से पैसा कमाया है”।

उनकी प्रतिक्रियाओं के बाद “भारतीयसहकारिता” ने इस मामले की सच्चाई जानने की कोशिश की। हम आश्चर्यचकित रहे गये क्योंकि दो दिनों तक किसी ने भी अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी थी लेकिन अचानक एनसीयूआई के शीर्ष अधिकारी खबर से विचलित लग रहे थे।

इसी बीच नाम न छापने की शर्त पर मंत्रालय के एक अधिकारी ने हमसे बात की। मंत्रालय ने खबर के साथ-साथ इस तथ्य पर भी ध्यान दिया है कि वीएलई को प्रशिक्षण प्रदान करने के माध्यम से एनसीयूआई लाभ अर्जित कर रहा है तो उन्हें आश्चर्य होने लगा कि क्या एनसीयूआई को अब किसी अनुदान की जरूरत है।

मंत्रालय के अधिकारी ने आगे कहा कि एनसीयूआई के अधिकारी इस बात से निराश हैं कि उन्हें डर है कि इससे मंत्रालय सरकारी अनुदान नहीं देने पर विचार कर सकता है। पाठकों को ज्ञात होगा कि पहले ही एनसीयूआई को मंत्रालय से अनुदान मिलने में विलंब हो रहा है।

हमने पूर्व में प्रकाशित खबर में बताया था कि इन दिनों एनसीयूआई का शिक्षा विंग एनसीसीई खूब सुर्खियां बटोर रहा है। एनसीसीई भारत सरकार के सहयोग से सहकारी नेताओं को प्रशिक्षण दे रहा है ताकि सहकारी नेता बहुउद्देश्यीय जिला सहकारी समितियों का सुचारू रूप से प्रबंधन और संचालन कर सकें।

सहकारी नेताओं को दिल्ली में एनसीयूआई के मुख्यालय में हर महीने प्रशिक्षण दिया जा रहा है और एनसीसीई को भारत सरकार से इसके आयोजन के लिये फीस भी मिल रही है, एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन सत्यनारायण ने बताया।

हालांकि मूल खबर में हमने एनसीयूआई के सीई एन सत्यनारायण की सावधानीपूर्वक कही गई बात को उद्धृत किया था कि उन्होंने वी के दुबे के कथन को तुरंत ठीक कर कहा कि ” हमारा उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है, बल्कि हम खुश हैं क्योंकि इस कार्यक्रम से सहकारी आंदोलन को बल मिला है जो शांत और प्रभावी बना हुआ है”।

गौरतलब है कि एनसीयूआई ने सहकारी प्रबंधन विषय पर विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर के लिये प्रबंधन विकास कार्यक्रम आयोजित करने के लिये “सीएससी-ई-गोवर्नान्स इंडिया सर्विसेस” के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था।

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की पहल – “कॉमन सर्विस सेंटर” गांवों में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक सेवाएं प्रदान करने वाला एक केंद्र है, जिससे एक डिजिटल और आर्थिक रूप से समावेशी समाज के निर्माण में योगदान मिलता है।

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