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रदाडिया को श्रद्धांजलि देने के लिए सहकारी नेताओं की लगी लंबी कतार

इफको के पूर्व उपाध्यक्ष विट्ठलभाई रदाडिया को श्रद्धांजलि देने के लिए गत मंगलवार को दिल्ली के एनसीयूआई ऑडिटोरियम में हर तबके के सहकारी नेता बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए।

इफको ने गुजरात के पूर्व सांसद और इफको के पूर्व उपाध्यक्ष स्व. विठ्ठलभाई रदाडिया के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था। बता दें कि रदाडिया का निधन 29 जुलाई, 2019 को हुआ था।

सहकारिता को जानने वाले और सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाने में उनके साथ काम करने वाले सहकारी नेताओं ने सामान्य रूप से समाज और विशेष रूप से किसानों के लिए उनके योगदान के बारे में विस्तार से बात की।

इस मौके पर स्व. रदाडिया के साथ बिताये गये पल को केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, केंद्रीय उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख लक्ष्मणभाई मंडाविया, वरिष्ठ नेता दिलीप संघानी, इफको के एम डी डॉ यूएस अवस्थी और एनसीयूआई के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव ने याद किया।

इफको के अध्यक्ष, बी एस नकई समेत पूरा बोर्ड इस अवसर पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करने के लिए उपस्थित था। आईसीए-एपी के क्षेत्रीय निदेशक बालू अय्यर, बिजेन्द्र सिंह, एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन सत्यनारायण सहित, जो लोग इफको से सीधे नहीं जुड़े हैं वे भी बड़ी संख्या में अन्य लोगों के साथ मौजूद थे।

इस समारोह में स्व. रदाडिया के परिवार के सदस्य और देश भर से आए किसान भी मौजूद थे।

इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि स्व. रदाडिया सौराष्ट्र से आने वाले नेताओं की पहली पीढ़ी के नेता थे, जिन्होंने उस क्षेत्र में भाजपा कोमजबूत बनाया। वह उत्कृष्ट पुरुष थे जिन्होंने बालिका शिक्षा पर जोर देते हुए स्कूल और कॉलेज खोले। रदाडिया ने लोगों के लिए प्रमुख तीर्थस्थलों में गेस्ट हाउस स्थापितकरने में भी मदद की।

केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि उनका दरवाजा हमेशा किसानों के लिए खुला रहता था और वह उनकी मदद करने के लिए सभी प्रयास करते थे। मंडाविया ने कहा, “वह उद्योगपतियों से दान मांगने में संकोच नहीं करते थे और वे (उद्योगपति) रदाडिया की प्रतिबद्धता को देखकर उन्हें आसानी से उपकृत करते।”

दिलीप संघानी ने खुलासा किया कि शून्य प्रतिशत ब्याज की अवधारणा मूल रूप से रदाडिया द्वारा कल्पित थी, जिसे बाद में कई अन्य लोगों द्वारा और केसीसी में भी शामिल किया गया।  राजकोट डीसीसीबी के अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने ही किसानों को ऋण के लिए 0% ब्याज की योजना पेश की थी।

इफको के एमडी डॉ यू एस अवस्थी ने कहा कि वह दो दशक से रदाडिया को जानते थे और किसानों के लिए बहुत से सुधार के अथक प्रयासों के लिए वे इफको के लिए एक संपत्ति थे। अवस्थी ने पिछली कई घटनाओं को याद करते हुए कहा कि जब उनका नाम इफको के उपाध्यक्ष के रूप में प्रस्तावित किया गया था, तो पूरा बोर्ड उनके समर्थन में उमड़ पड़ा।

इफको के अध्यक्ष बी एस नकई ने कहा, “रदाडिया जी इफको के सबसे अनुभवी बोर्ड सदस्यों में से एक थे। उन्होंने उनके साथ किसान कल्याण और सहकारी विकास में अपने समृद्ध अनुभव को भुनाया जिसने इफको को बहुत मदद की। हमें साथ उनकी उपस्थिति हमेशा याद रहेगी।”

एनसीयूआई के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव ने कहा, “मैं पूरी सहकारी बिरादरी की ओर से दिवंगत आत्मा के लिए संवेदना व्यक्त करता हूं।  मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वे जयेश (सुपुत्र) को अपने पिता की समृद्ध विरासत को आगे ले जाने का बल प्रदान करें।”

इससे पहले, जब स्व. विट्ठल रदाडिया के बेटे जयेश को तरुण भार्गव ने इस अवसर पर बोलने के लिए बुलाया, तब जयेश इतने भाउक हो गए कि वह बोलने के लिएभावनात्मक ताकत नहीं जुटा पा रहा थे।

इफको के उपाध्यक्ष होने के अलावा, रदाडिया गुजरात के एक प्रख्यात सहकारी नेता थे और राज्य के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक थे। गुजरात के पोरबंदर से पूर्व सांसद स्व. रदाडिया ने अपने तीन दशकों के राजनैतिक जीवन के दौरान गुजरात राज्य में कई महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला।

 

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