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तमिलनाडु सहकारी समितियों में आखिरकार चुनाव होना तय

तमिलनाडु देश में शायद सहकारी आंदोलन का सबसे बुरा उदाहरण है, जहाँ सहकारी निकायों में पिछले 30 वर्षों से चुनाव आयोजित नही किए गए है। अब मद्रास उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से आशा की एक किरण दिखाई दी है।

मजबूरी में तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया है कि वह जल्द ही राज्य में सभी सहकारी संगठनों के लिए चुनाव अधिसूचना को जारी करेंगे।

50 रिट के जरिए  सहकारी निकायों में नए सदस्यों के नामांकन पर सरकार के अध्यादेश की वैधता को अदालत के समक्ष चुनौती पेश की गई है।

राज्य में सहकारी निकायों और विपक्षी दलों के सदस्य इस अध्यादेश पर बेईमानी का आरोप लगा रहे है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ एआईडीएमके अपनी ही पार्टी के सदस्यों से  सहकारी संगठनों को भरने की कोशिश कर रही है।

रिट में अदालत के समक्ष तर्क दिया गया है कि सत्तारूढ़ पार्टी अध्यादेश के माध्यम से पूरी तरह से सहकारी निकायों के मौजूदा संगठनात्मक चरित्र को बदल डालेगा।

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए एक स्वतंत्र संस्था की मांग की है, याचिका में शर्तों के बिना लोकतंत्र को लागू करने के लिए अध्यादेश को वापस लेने का अधिकारियों से आग्रह किया गया है  नही तो  यह  राज्य में सहकारी समितियों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के लिए एक गंभीर खतरा बन जाएगा।

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