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मंत्रालय: संघानी, अवस्थी, चंद्रपाल समेत जोशी ने की पीएम की सराहना

सहकारी नेताओं ने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने के मोदी सरकार के फैसले की सराहना की है। अगर एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने इसे ऐतिहासिक बताया तो वहीं इफको के एमडी डॉ यूएस अवस्थी ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

कुछ अंशः

दिलीप संघानी:

ऐतिहासिक! “सहकार से समृद्धि” के विजन को साकार करने के लिए ‘सहकारिता मंत्रालय’ बनाने के लिए प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार। यह भारत में जमीनी स्तर तक पहुंचने वाले एक सच्चे जन-आधारित आंदोलन के रूप में सहकारिता को गहरा करने में मदद करेगा।

डॉ यूएस अवस्थी:

पीएम के नेतृत्व में भारत सरकार का देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए एक नया ‘सहकारिता मंत्रालय’ बनाने का कदम ऐतिहासिक और क्रांतिकारी है। नए ‘सहकारिता मंत्रालय’ से ग्रामीण भारत का विकास और उन्नति होगी। यह देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत और सशक्त करेगा।

चंद्र पाल :

मैं इस कदम के लिए प्रधानमंत्री को सलाम करता हूँ। इससे सहकारिता आंदोलन को बल मिलेगा। सहकारिता ही गरीबों की मदद कर सकती है। किसानों की समृद्धि की बात हो या युवा रोजगार की, सहकारी समितियां बड़ी भूमिका निभाती हैं और मैं तहे दिल से पीएम के इस कदम की सराहना करता हूँ।

उदय जोशी :

सहकार भारती ने केंद्र में एक अलग सहकारी मंत्रालय बनाने के मोदी सरकार के फैसले की सराहना की। सहकार भारती ने 27/28 फरवरी 2021 को दिल्ली में आयोजित अपनी कार्यकारी समिति की बैठक में सर्वसम्मति से संकल्प लिया कि सहकारी आंदोलन की प्रासंगिकता को देखते हुए केंद्र में एक अलग सहकारी मंत्रालय होना नितांत आवश्यक है।

सहकार भारती केंद्र सरकार के “सहकार से समृद्धि” के दृष्टिकोण का भी स्वागत करती है। यह निर्णय मल्टी स्टेट सहकारी समितियों को “व्यापार करने में आसानी” सुविधा प्रदान करने में सक्षम करेगा। को-ऑप निश्चित रूप से सुर्खियों में रहेगा और आर्थिक विकास के जन केंद्रित मॉडल को सुगम बनाएगा।

सुनील सिंह:

प्रधानमंत्री ने गौर किया कि हरित क्रांति से लेकर श्वेत और नीली क्रांति तक, सहकारिता ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय समय की मांग है।

कृषि के अंतर्गत आने वाले कुछ लोगों ने सहकारी समितियों द्वारा निभाई गई भूमिका को महसूस किया, लेकिन अब अंतर समझ में आएगा। सहकारी संस्थाओं ने ही कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने में भूमिका अदा की है।

आर एस सोढ़ी :

यह एक क्रांतिकारी कदम है, जिसमें छोटे भू-स्वामियों/किसानों/श्रमिकों/व्यापारियों द्वारा बड़े व्यवसाय बनाने में सहकारी समितियों की भूमिका को मान्यता दी गई है।

संजीव चड्ढा :

यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो सहकारी क्षेत्र की वास्तविक क्षमता को साकार करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा और देश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में इसकी भूमिका को बढ़ावा देगा।

गौतम ठाकुर :

सराहनीय पहल !

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