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डीसीसी बैंकों के विलय के विरोध में बिहार सहकारी नेतागण

बिहार के सहकारी नेताओं ने जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) का राज्य सहकारी बैंक के साथ विलय को लेकर राज्य सरकार के कदम की कड़ी निंदा की है और चेतवानी दी है कि वे सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे।

सहकारी नेताओं ने इस संदर्भ में आरबीआई द्वारा जारी दिशानिर्देश को गंभीरता से लेते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी।

भारतीय सहकारिता से बातचीत में गोपालगंज डीसीसीबी के अध्यक्ष महेश राय ने कहा कि राज्य सरकार का यह कदम डीसीसीबी के हित में नहीं है और हम इसके खिलाफ हैं। राज्य सहकारी बैंकों के साथ डीसीसीबी का विलय तीन स्तरीय संरचना को नष्ट कर देगा, जो लंबे समय से चल रही है। इसके अलावा, प्रत्येक जिले में निगरानी की कमी के कारण इससे किसानों को समस्या का सामना करना पड़ेगा।

वैशाली डीसीसीबी के अध्यक्ष बिसुन देव रॉय ने कहा, “यह एक अलोकतांत्रिक कदम है। अगर सरकार इस कदम को वापस नहीं लेगी तो हम आने वाले दिनों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। हम जमीनी स्तर पर किसानों के हित में काम कर रहे हैं।”

मुजफ्फरपुर डीसीसीबी के अध्यक्ष अमर पांडे ने कहा, “डीसीसीबी से जुड़े सहकारी नेता इस कदम के खिलाफ हैं। बिहार राज्य सहकारी बैंक विवादों में घिर गया है और इसकी तीन शाखाओं में वित्तीय अनियमितताएं के बारे में पता चला है। सरकार को याद होना चाहिए कि डीसीसीबी दूर-दराज के इलाकों से सीधे जुड़े हुए हैं और जनता की भलाई के लिए सराहनीय काम कर रहे हैं”।

नालंदा डीसीसीबी के पूर्व अध्यक्ष और जेडीयू से विधायक जितेंद्र कुमार ने कहा कि एक सहकारी नेता होने के नाते मैं इस कदम के खिलाफ हैं क्योंकि यह कदम त्रिस्तरीय ढांचे को खत्म कर देगा।

बता दें कि राज्य में 22 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक हैं जिनकी 296 शाखाएँ हैं। डीसीसीबी का एनपीए 24 प्रतिशत से अधिक है और जमा राशि 320 करोड़ रुपये है। इन बैंकों का क्रेडिट और डिपॉजिट रेशियो (सीडी रेशियो) करीब 80 फीसदी है।

बैंक से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सभी जिला सहकारी बैंकों पर स्थानीय राजनीति हावी है क्योंकि बैंकों के बोर्ड में राजनेता ही सेलेक्टेड चेयरमैन होते हैं और उनके चहेते लोग बोर्ड सदस्य रहते हैं।

सहकारिता विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने बताया कि जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों का स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के साथ विलय का फैसला सरकार के स्तर पर होगा। फिलहाल आरबीआइ गाइडलाइन का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद सरकार के निर्देश पर विलय संबंधी मसौदा तैयार होगा और कैबिनेट की मंजूरी से उसे अमलीजामा पहनाया जाएगा।

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