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एनआईसीएम चेन्नई में लूट: एनसीसीटी सचिव की चुप्पी बरकरार

तमिलनाडु स्थित नटेसन सहकारी प्रबंधन संस्थान (एनआईसीएम) से जुड़े संकाय सदस्यों का कहना है कि संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ पी जगन्नाथन ने अपने कार्यकाल के दौरान संस्थान को हानि पहुंचाई है और इस संदर्भ में संस्थान के नए डायरेक्टर जी सुरेश ने एनसीसीटी सचिव मोहन मिश्र को कई पत्र लिखे हैं लेकिन अभी तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। बता दें कि एनआईसीएम, एनसीसीटी द्वारा संचालित किया जाता है।

जी सुरेश ने तत्कालीन निदेशक डॉ पी जगन्नाथन के कार्यकाल (जुलाई 2010 से फरवरी 2020) के दौरान हुए धन के दुरुपयोग के मामले में मोहन मिश्र को कई पत्र लिखे हैं लेकिन एनआईसीएम के निदेशक अभी भी मिश्र के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।

डॉ.जगन्नाथन पर धन के दुरुपयोग में शामिल होने का आरोप लगा है। उन्होंने अपने पद पर रहकर जमकर भ्रष्टाचार किया है। वैधानिक ऑडिट 2018-19 के साथ-साथ आंतरिक ऑडिट में भी अनियमितताओं के बारे में पता चला है। इसके बावजूद “नो ड्यूज” सर्टिफिकेट के बिना ही एनसीसीटी ने एक छोटी राशि रोककर डॉ.जगन्नाथन को सेवानिवृत्ति के लाभों को मंजूरी दी है, नाम न छापने की शर्त पर एनआईसीएम, चेन्नई के एक संकाय सदस्य ने कहा।

एनसीसीटी के कार्यालय को कई पत्र लिखने के बावजूद, एनआईसीएम निदेशक कोई प्रतिक्रिया पाने में विफल रहे। “भारतीयसहकारिता” को अपने स्रोतों से एनसीसीटी सचिव को लिखे पत्र की एक प्रति मिली है।

अपने पत्र में निदेशक ने लिखा, “2015-2019 (सितंबर 2019 तक) के लिए एनसीसीटी के आंतरिक लेखा परीक्षा के ऑडिट पैरा के अनुसार, प्रशिक्षण विकास निधि का अंतिम शेष 91.88 लाख रुपये और भवन एवं अवसंरचना निधि का शेष 6.25 लाख रुपए था। लेकिन हम हैरान है कि दोनों लेखा-शीर्ष में कोई धन उपलब्ध नहीं है”।

“2015-2019 की अवधि के लिए एनसीसीटी के आंतरिक ऑडिट पैरा के अनुसार, पांच सेवानिवृत्त कर्मचारी भर्ती मानदेय की वसूली राशि का भुगतान करने के लिए तैयार नहीं हैं और उन्होंने तत्कालीन निदेशक डॉ पी. जगन्नाथन पर उंगलियां उठाईं है। इन बिंदुओं को काउंसिल में कई बार भेजा गया और उत्तर की प्रतीक्षा है, पत्र में लिखा है।

इसके अलावा, पत्र के अनुसार, 2016 में वरदा चक्रवात के दौरान गिरे सागौन के पेड़ और देशी पेड़ों के 38 टुकड़ों की नीलामी हुई, जिसमें टिम्बर बाजार से आकलन के आधार पर संस्थान को 15 लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ।

तत्कालीन निदेशक डॉ पी जगन्नाथन के कार्यकाल के दौरान, एस मणि, एम. वेंकटेशन और चिट्टीबाबू को एमटीएस क्वार्टर के आवंटन के रूप में विवेकाधीन शक्तियों का दुरुपयोग हुआ है। सहायक निदेशक की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, खरीद और बिक्री की अनियमितताएं पायी गयी हैं जिसकी सूचना पहले से ही काउंसिल को दी गयी है”, पत्र में वर्णित है।

एनआईसीएम मेस के खाते का रखरखाव, आकस्मिक कर्मचारियों की नियुक्ति, एनआईसीएम मेस स्टाफ को क्वार्टर आवंटित करना, पहचान पत्र जारी करना और निजी ठेकेदारों को एनआईसीएम मेस की मंजूरी देना, इन सब बातों से अराजक स्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं।

पत्र के अंत में लिखा है कि प्रशासन और खातों में उपरोक्त अनियमितताओं और साजिशों के मुख्य सूत्रधार डॉ पी जगन्नाथन (निदेशक) थे; और डॉ आर.गोपालसामी (उप निदेशक), डॉ एम रामेश्वरन (उप-निदेशक) श्री एल वेंकटेश (वरिष्ठ संकाय), जनार्दन (लेखाकार और प्रभारी-ओएस), श्रीमती उन्नामलाई (लेखाकार/प्रभारी-कार्यालय अधीक्षक), प्रवीण कुमार (एलडीसी/केयर-टेकर) और वाई गणेश कुमार (एलडीसी) डॉ जगन्नाथन की मदद कर रहे थें।

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