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इफको ने संघानी को किया सम्मानित; अवस्थी ने सहकार भारती और एनसीयूआई से मिलकर चलने का किया आग्रह

एनसीयूआई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष दिलीपभाई संघानी चुनाव परिणाम के तुरंत बाद दिल्ली स्थित इफको मुख्यालय पहुंचे, जहां उनके लिए आयोजित एक समारोह में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।

इस अवसर पर संघानी ने कहा, “मैं एनसीयूआइ बोर्ड में इफको का सदस्य हूँ और इस प्रकार अपने प्रतिनिधि को नए कार्य में सफल बनाने के लिए इफको के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है।”

शॉल के साथ स्वागत करते हुए, इफको के एमडी डॉ यूएस अवस्थी ने कहा कि संघानी देश में एकमात्र सहकारी नेता हैं, जो सहकारी आंदोलन के द्वंद्व को समाप्त कर सकते हैं। द्वंद्व से निर्द्वंद्व की अवस्था कॉपरेटिव में सिर्फ संघानी ही ला सकते हैं, अवस्थी के इस सारगर्भित बयान का प्रभाव लोगों पर पड़ना स्वाभाविक ही था।

इफको ने एनसीयूआई चुनाव के अन्य विजेताओं का भी स्वागत किया, जिसमें प्रमोद कुमार सिंह और अरुण तोमर शामिल थे। तोमर इफको किसान सेवा ट्रस्ट से जुड़े हैं। इफको मुख्यालय पहुंचकर हरियाणा के मंत्री जेपी दलाल ने भी संघानी का स्वागत किया। विपणन निदेशक योगेंद्र कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया, जबकी संयुक्त एमडी राकेश कपूर, निदेशक आरपी सिंह, जीके गौतम समेत कई लोग एनसीयूआई की नई टीम का स्वागत करने के लिए उपस्थित रहे।

इस अवसर पर इफको ने चन्द्र पाल सिंह का भी विशेष स्वागत किया। इस मौके पर बोलते हुए चन्द्र पाल ने इफको के एमडी का धन्यवाद किया और डॉ अवस्थी के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद किया। चंद्रपाल ने बताया कि कैसे अवस्थी ने उन्हें चुनाव लड़ने में मदद की थी जब 90 के दशक में सरकार के नामित पाँच उम्मीदवार बोर्ड में थे। चंद्र पाल ने कहा, “सहकारी समितियों में लोकतंत्र के पक्षधर अवस्थीजी को केवल एक कुशल एमडी के रूप में नहीं बल्कि एक विशिष्ट सहकारी नेता के रूप में देखा जाता है।”

नए अध्यक्ष के बारे में बात करते हुए, चंद्र पाल ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी संतुष्टि यह है कि वह आंदोलन की बागडोर सबसे अच्छे हाथों में छोड़कर जा रहे हैं।  उन्होंने सहकारी आंदोलन में दिलीप संघानी के योगदान को याद किया।

इफको एमडी के बारे में चंद्र पाल के कथन का समर्थन करते हुए, संघानी ने कहा कि उन्होंने आज तक किसी भी सहकारी संगठन को इफको जितना पारदर्शी नहीं देखा है। “मैंने प्राथमिक से लेकर राष्ट्रीय तक सभी स्तरों पर काम किया है, लेकिन इफको की गतिविधियों में कार्यरत पारदर्शी व्यवस्था अतुलनीय है”, संघानी ने कहा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष भी इसी बात का उल्लेख कराने की बात की।

“इफको के उपाध्यक्ष के रूप में नहीं बल्कि एक छोटे भाई के रूप में मैं अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अवस्थीजी के मार्गदर्शन की आशा करता हूँ, संघानी ने कहा। उन्होंने सहकारी आंदोलन के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों को भी दोहराया। “अगर हम को-ऑप्स के रूप में 1 करोड़ रुपये के इंफ्रा फंड का उपयोग नहीं करते हैं, तो सरकार इसके लिए अन्य विकल्प की तलाश करेगी; हमें हर गांव और हर जरूरतमंद किसान तक पहुंचना है”, संघानी ने कहा।

“हमें जाति, पंथ या पार्टी की निष्ठा के संकीर्ण विचारों से ऊपर उठना होगा”, संघानी ने मोदी के नारा “ सबका साथ, सबका विकास” को दोहराते हुए कहा।

संघानी के आग्रह के कारण सभा के अंत में अवस्थी बोले। अवस्थी सोमवार को भावनाओं से ओत-प्रोत दिखाई पड़ रहे थे। इसे ऐतिहासिक चुनाव करार देते हुए अवस्थी ने कहा कि यह एक अवसर है जब एनसीयूआई और सहकार भारती मिलकर इस आंदोलन को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।

सहकारी ध्वज का उल्लेख करते हुए, जिसमें सात रंग शामिल हैं, अवस्थी ने कहा कि एक इंद्रधनुष की तरह ये रंग अपना निजी व्यक्तित्व खो कर एक हो जाते हैं। सहकारी आंदोलन को इसी भाव की आज जरूरत है, अवस्थी ने कहा।

सहकार भारती के बड़े नेताओं और साथ ही चंद्र पाल सिंह और बिजेन्द्र सिंह जैसी हस्तियों का नाम लेते हुए, अवस्थी ने सहकारिता के उज्जवल भविष्य के लिए सभी को एक साथ आने का आह्वान किया। “मेरी उम्र अधिक हो गयी है और मेरी इच्छा है कि मैं यथाशीघ्र एकजुट नेतृत्व देखूं”, भावनाओं में ओत-प्रोत होते हुए अवस्थी ने कहा।

इस अवसर पर हरियाणा के मंत्री जेपी दलाल, प्रमोद सिंह, सुनील खत्री और अरुण तोमर सहित कई अन्य लोगों ने भी अपनी बात रखी। प्रमोद ने बताया कि कैसे इफको के कामों को करीब से देखकर वे उत्तराखंड में स्थानीय स्तर पर सुधार कराने में सफल हुए।

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