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एनसीयूआई नेताओं ने मतदाता सूची में नेफकॉब का न होना उचित माना

एनसीयूआई के कई नेताओं ने सहकारी शिक्षा कोष के उच्चतम योगदानकर्ताओं की श्रेणी में मतदाता सूची से नेफकॉब को बाहर रखने के मुद्दे पर ‘भारतीयसहकारिता’ में प्रकाशित समाचार पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

पाठकों को याद होगा कि ‘भारतीयसहकारिता’ ने सोमवार को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसका शीर्षक “एनसीयूआई मतदाता सूची; नेफकॉब ने केंद्रीय रजिस्ट्रार से की शिकायत” था।

इस खबर पर एनसीयूआई के नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कुछ दिन पहले एनसीयूआई को आरटीजीएस के माध्यम से नेफकॉब से 10 लाख रुपये प्राप्त हुए थे लेकिन यह नहीं बताया गया कि पैसे किस काम के लिए दिए गए हैं। फिर संस्था के सीई या चुनाव अधिकारी फंड के हस्तांतरण का उद्देश्य कैसे समझ सकते हैं, खासकर तब जब नेफकॉब ने अतीत में कभी भी एनसीयूआई को इतनी बड़ी राशि का योगदान नहीं किया है”, उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा कि कैसे कोई भी केवल सहकारी शिक्षा कोष में धन का योगदान करके एनसीयूआई का मतदाता हो सकता है। एमएससीएस अधिनियम और विशेष रूप से इसकी धारा 63 को पढ़ें, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि फंड संस्था के लाभ से आना चाहिए।

वैसे तो नेफकॉब हमेशा अपने आप को घाटे में बताता है, लेकिन एनसीयूआई बोर्ड में प्रवेश करने के लिए दस लाख रुपये का प्रबंधन करता है। क्या यह तुच्छ राजनीति नहीं है? नेताओं ने कहा। हालांकि इस मुद्दे पर एनसीयूआई, नेफकॉब और सरकार दोनों को ही अपना जवाब देने की तैयारी कर रही है।

नेताओं ने कहा, सच बात यह है कि एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने ही नेफकॉब से फंड प्राप्त होने के बाद नेफकॉब को एक पत्र लिखकर यह जानना चाहा था कि वह फंड किस काम के लिए दिए गया था।

नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन को मतदाता सूची में शामिल करने को सही ठहराते हुए, एनसीयूआई के नेताओं का कहना है कि वे हर साल योगदान देते हैं। इस राशि में साल दर साल अंतर होता रहा है और इस साल उन्होंने 10 लाख रुपये का योगदान दिया है। क्या यह अनुचित नहीं होगा अगर आरओ नेफकॉब को मौका देने से इनकार कर दे? उन्होंने पूछा।

पाठकों को याद होगा कि नेफकॉब के एक निदेशक उदय जोशी ने पहले कहा था कि, नेफकॉब सहकारी शिक्षा कोष में उच्चतम योगदानकर्ताओं में से एक है और संस्था ने समय पर एनसीयूआई को दस लाख रुपये का भुगतान किया है। इसके बावजूद भी नेफकॉब का नाम मतदाता सूची में नहीं है।

उच्चतम योगदानकर्ता श्रेणी से गवर्निंग काउंसिल के लिए चार नामांकन हैं और इस श्रेणी से जीसी में चार ही सीट हैं, जहां से इफको के दिलीप संघानी, कृभको के डॉ चंद्र पाल सिंह यादव, नेफेड के बिजेन्द्र सिंह और नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया के मंगलजीत राय का जीतना तय है।

इस श्रेणी में नेफकॉब का नाम शामिल करने का मतलब, इस सीट में भी मतदान कराना पड़ेगा, जो पहले कभी नहीं हुआ। पता चला है कि अभी तक इस सूची में नेफकॉब का नाम शामिल नहीं किया गया है, जिसके चलते कई प्रतिनिधियों ने सेंट्रल रजिस्ट्रार से न्याय दिलाने की मांग की है।

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