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एफआरडीआई विधेयक नहीं होगा पेश: सहकारी नेताओं ने ली राहत की सांस

सोशल मीडिया पर अफवाह फैलने के बाद सरकारी एजेंसी पीआईबी ने जल्द ही स्थिति को स्पष्ट करते हुये एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि विवादास्पद वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक को फिर से पेश करने के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है। इस खबर के बाद सहकारी नेताओं ने राहत की सांस ली।

बता दें कि कई दिनों से सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई जा रही थी कि एफआरडीआई विधेयक को मानसून सत्र में पेश किए जाना है।

पीआईबी के हवाले से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, “वित्तीय समाधान और जमा बीमा विधेयक, 2017 को 10 अगस्त, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया था।”

विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि सरकार ने अगस्त 2018 में एफआरडीआई विधेयक को आगे व्यापक जांच और इस विषय पर पुनर्विचार के लिए वापस ले लिया था। 

एफआरडीआई विधेयक के पुन: पेश किए जाने के बारे में कुछ मीडिया रिपोर्टें हैं। यह स्पष्ट करना है कि सरकार ने एफआरडीआई विधेयक को फिर से पेश करने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया है”।

विधेयक के विवादास्पद ‘बेल-इन’ उपबंध के तहत यह प्रस्तावित किया गया था कि असफल होते वित्तीय संस्थान खुद को बचाने के लिए जमाकर्ताओं के धन का इस्तेमाल कर सकते हैं। बिल 2017 में पेश किया गया थाजिसे बाद में बहुत शोर के बाद 2018 में वापस ले लिया गया था।

बिल को वापस लेने का मतलब है कि यथास्थिति बनी रहेगी और डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसीके तहत जमा-राशि सुरक्षित रहेगी।

स्मरणीय है कि भारत के शहरी सहकारी बैंकों के सर्वोच्च निकाय – नैफकॉब” ने प्रस्तावित वित्तीय विनियमन और जमा बीमा विधेयक, 2017 पर भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसीके समक्ष एक प्रतिवेदन दिया है।

इस विधेयक का उद्देश्य “रिज़ॉल्यूशन कॉर्पोरेशन‘ और कॉर्पोरेशन इंश्योरेंस फ़ंड‘ के माध्यम से बैंकोंबीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय मध्यस्थों में दिवालिया होने की स्थिति से निपटना था।

बाद मेंएक रिज़ॉल्यूशन प्राधिकरण को सभी अनुबंधों को संशोधित करने के लिए अधिकृत करते हुएइस बिल के विवादास्पद बेल-इन‘ के प्रावधान को वापस ले लिया गया था,  मीडिया स्रोतों का दावा। उन्होंने दावा किया था कि सरकार संशोधित विधेयक, 2019 पेश करने की कोशिश कर रही है। 

यहाँ यह भी बताना अनावश्यक नहीं होगा कि पीएमसी बैंक घोटाले के मद्देनजर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के डिपॉजिट इंश्योरेंस कवरेज को बढ़ाकर प्रति जमाकर्ता लाख रुपये कर दिया गया जिससे जमाकर्ताओं को बड़ी राहत मिली है।

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