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आरबीआई की कोशिश नकाफी: कल्याण जनता सहकारी बैंक

कल्याण जनता सहकारी बैंक के सीईओ अतुल खिरवाडकर ने मौजूदा बैंकिंग स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुये आरबीआई की कोशिशों को नकाफी बताया है और कहा है कि आरबीआई इस क्षेत्र को उत्साहित करने में विफल रही है।

सीईओ ने कहा कि, “आरबीआई गवर्नर ने मैक्रोलेवल पर किया है और माइक्रोलेवल के मुद्दे को संबोधित नहीं किया है।”

उन्होंने कहा, “भले ही मुझे कई बैंकिंग सेक्टर से जुड़े वरिष्ठ लोगों का क्रोध झेलना पड़ेगा, लेकिन मुझे लगता है कि सहकारी बैंकों और सामान्य रूप से सभी बैंकों से जुड़े मुद्दों को संबोधित नहीं गया है।”

उनके द्वारा सूचीबद्ध मुद्दों में शामिल हैं :

1)  तीन महीने की मोहलत का मतलब है कि एनपीए 29 फरवरी 2020 को फ्रीज हो गया। इन खातों को तब तक कोई राहत नहीं दी जाएगी जब तक कि कर्जदारों द्वारा देय राशि का भुगतान नहीं किया जाता है।

2)  3 महीने की मोहलत का लाभ उठाने वाले उधारकर्ताओं के लिए 3 महीने की समाप्ति पर भुगतान करना होगा। यह मानकर कि लॉकडाउन 15 अप्रैल तक खत्म होगा, और उसके बाद व्यापार चक्र शुरू होने पर उधारकर्ताओं के पास चौथे  महीने के अंत तक नकदी प्रवाह नहीं हो सकता है, फिर वे कैसे और कहाँ से भुगतान करेंगे?

3) तरलता उपाय उत्कृष्ट हैं। लेकिन क्या सहकारी बैंकों के पास व्यापारिक अवसरों का उपयोग करने का कौशल है?

4) 5 तिमाही (क्वार्टर) के लिए 180 दिनों के सरल मानक सभी संकटों को दूर कर सकते हैं। काश, ऐसा नहीं है।

5) असामान्य स्थिति के लिए असामान्य उपायों की आवश्यकता होती है।

आरबीआई के गवर्नर ने जमीनी वास्तविकताओं को नहीं छुआ है। सभी उधारकर्ताओं को अपना बकाया मार्च के अंत तक चुकाने की आदत होती है। अब वे भुगतान नहीं करेंगे। इसलिए, मुझे लगता है कि गवर्नर ने एक अच्छा काम किया है, लेकिन एक उत्कृष्ट काम नहीं किया है।

हालाँकि, आरबीआई की सराहना करते हुए, सहकारी नेता और आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य सतीश मराठे ने फेसबुक पर लिखा, “आरबीआई बैंकिंग बिरादरी की उम्मीदों के अनुरूप है। कुडोस टू गोवर्नमेंट ऑफ इंडिया, आरबीआई!”।

 

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