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कांगड़ा को-ऑप बैंक: लक्ष्मी दास ने भाई-भतीजावाद के आरोप का किया खंडन

दिल्ली स्थित कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक के चुनाव से पहले विपक्षी दल मौजूदा बैंक प्रबंधन पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगा रहा हैं लेेकिन निवर्तमान अध्यक्ष लक्ष्मी दास के नेतृत्व वाले पैनल ने इस तरह के आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

बता दें कि बैंक का चुनाव 13 फरवरी को नई दिल्ली में होगा और 13 सीटों के लिए 17 उम्मीदवार मैदान में है लेकिन चुनाव से ठीक पहले आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।

चुनावी दंगल में खड़े निर्दलीय उम्मीदवार राम कुमार अत्री ने भारतीय सहकारिता से बातचीत में कहा कि कई दशकों से बैंक के प्रबंधन पर एक ही समूह के लोगों का कब्जा है। और इस बार भी दास के नेतत्व वाले हिमाचल प्रदेश सोशल ग्रुप पैनल ने मौजूदा निदेशकों के रिश्तेदारों, दोस्तों को चुनावी मैदान में उतारा है।

“उदाहरण के तौर पर, तत्कालीन निदेशक के डी शर्मा की मृत्यु के बाद, हिमाचल प्रदेश सोशल ग्रुप पैनल ने महिला वर्ग से चुनाव लड़ाने के लिए उनकी बेटी पूजा शर्मा के नाम की घोषणा की है। इसके अलावा, उसी पैनल से, तत्कालीन निदेशक स्वर्गीय जगदीश बिष्ट के बेटे गोपाल बिष्ट भी चुनाव लड़ रहे हैं। एक बार फिर अविनाश स्वरूप शर्मा को मैदान में उतारा गया, जो कई वर्षों से बोर्ड में हैं”, अत्री ने फोन पर भारतीय सहकारी संवाददाता से कहा।

अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करते हुए, निवर्तमान अध्यक्ष दास ने कहा, “जो हमारे ऊपर भाई-भतीजावाद का आरोप लगा रहे हैं उन्हीं की पत्नी चुनाव लड़ रही है। यह कहना सरासर गलत है कि हम बैंक में वंशवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। हमने ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो सहकारी क्षेत्र में अच्छा खासा अनुभव रखते हैं”, उन्होंने कहा।

“आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि के डी शर्मा की बेटी पूजा शर्मा पेशे से वकील हैं और सहकारी आंदोलन में काफी सक्रिय हैं। इसके अलावा, गोपाल बिष्ट को इस क्षेत्र में लंबा अनुभव है। वह इससे पहले दिल्ली की एक थ्रिफ्ट एंड क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में  पदाधिकारी भी थे। और अनूप कुमार शर्मा नौ साल से बोर्ड में निदेशक हैं”, दास ने उम्मीदवारों का विवरण देते हुए कहा।

अत्री ने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश सोशल ग्रुप पैनल से जुड़े लोगों ने चुनावी खर्च को बचाने के लिए हमें नामांकन पत्र वापस लेने का दबाव बनाया। इसके विपरीत, हमने बोर्ड में एक सदस्य को शामिल करने को कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।

इस पर जवाब देते हुए दास ने कहा, हमने किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया है। यह सच है कि चुनाव पर करीब 70 लाख रुपये का खर्च होता है, लेकिन हम विपक्ष दल से ऐसे सदस्य को कैसे शामिल कर सकते हैं, जिसके पास सहकारी क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है। उन्होंने दावा किया कि परिणाम हमारे पक्ष में आएगा।

अत्री ने वर्तमान प्रबंधन पर उम्मीदवारों को मोबाइल नंबर के साथ मतदाता सूची उपलब्ध नहीं कराने का भी आरोप लगाया। “कोई भी व्यक्ति 20 हजार रुपये देकर सूची ले सकता है। यह आरसीएस का नियम है”, दास ने भारतीय सहकारी संवाददाता को स्पष्ट किया।

पाठकों को याद होगा कि इस चुनाव में दास और राजेंद्र कुमार शर्मा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुने गये हैं। बैंक के बोर्ड में 15 निदेशक होते हैं जिनमें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए एक-एक सीट, महिलाओं के लिए 2 और अन्य निदेशकों के लिए 11 सीटें होती हैं।

गौरतलब है कि कांगड़ा सहकारी बैंक दिल्ली-एनसीआर का सबसे बड़ा शहरी सहकारी बैंक है। बैंक का कुल व्यापार 1800 करोड़ रुपये से अधिक का है और वित्त वर्ष 2020-21 में 9.09 करोड़ रुपये का सकल लाभ अर्जित किया है। पूरे दिल्ली में बैंक की 12 शाखाएं हैं।

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