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अब सहकारिता आंदोलन के साथ कोई अन्याय नहीं कर सकता: शाह

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछले हफ्ते अपनी दो दिवसीय महाराष्ट्र यात्रा के पहले दिन लोणी में पद्मश्री डॉ. विठ्ठलराव विखे पाटील साहित्यसेवा जीवन गौरव पुरस्कार और सहकार परिषद एवं कृषि सम्मेलन को संबोधित किया।

अपने सम्बोधन में अमित शाह ने कहा, “आज मेरे लिए बहुत ही हर्ष का दिन है कि जिस भूमि से छत्रपति शिवाजी महाराज ने पूरे देश में स्वराज का नाद बुलंद किया और हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की थी उस पवित्र भूमि पर मैं आप लोगों के सामने उपस्थित हूँ।  शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य की जो घोषणा और प्राप्ति की उसने सालों साल तक भारत के अंदर स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा तीनों की एक मज़बूत नींव डालने का काम किया, जिस पर आज हमारा देश एक मज़बूत इमारत बनकर खड़ा है। मैं उनकी पुण्य स्मृति को प्रणाम करना चाहता हूँ”।

उन्होंने कहा कि यह भूमि पूरे देश में सहकारिता के लिए काशी के समान पवित्र है क्योंकि इसी भूमि पर पद्मश्री विखे पाटील जी ने सहकारिता की नींव डालने का काम किया था। देशभर के सहकारिता आंदोलन के लोगों को एक बार इस भूमि की मिट्टी को माथे पर लगाना चाहिए, पीआईबी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।

“गुजरात में भी बहुत अच्छा सहकारी आंदोलन चला और आज अमूल पूरी दुनिया के अंदर सहकारिता का सबसे सफल मॉडल बन गया है। इस भूमि पर भी पद्मश्री विखे पाटील जी ने एक नई शुरुआत की थी। सभी लोगों ने कहा कि सहकारी आंदोलन दिक्कत में है, इसको मदद की जरूरत है। सहकारी आंदोलन को मदद देने के लिए ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय बनाया है”, शाह ने कहा।

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि एक जमाने में महाराष्ट्र के हर जिले में “जिला सहकारी समिति” एक आदर्श मानी जाती थी, आज स्थिति क्या हो गई है? सिर्फ तीन ही बची हैं, हजारों करोड़ के घपले घोटाले कैसे हुए?।

उन्होंने आगे कहा, “मैं कोई राजनीतिक टिप्पणी करने यहाँ नहीं आया हूँ मगर सहकारिता आंदोलन के कार्यकर्ताओं को इतना जरूर कहना चाहता हूँ कि सरकार आपके साथ खड़ी है, मोदी जी आपके साथ खड़े हैं। अब सहकारिता आंदोलन के साथ कोई अन्याय नहीं कर सकता, परंतु साथ ही साथ हमें भी पारदर्शिता लानी पड़ेगी, कार्यक्षमता बढ़ानी होगी, प्रोफेशनल बच्चों को जगह देनी पड़ेगी, उनको सहकारी आंदोलन से जोड़ना पड़ेगा और उन्हें उचित स्थान देना पड़ेगा तब जाकर यह आंदोलन 50 से 100 साल और जी सकेगा”।

शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से सहकारिता को जो भी मदद चाहिए, इसके लिए सरकार 24 घंटे और 365 दिन तैयार है और वह इस आंदोलन को आगे बढ़ता हुआ देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि विट्ठलराव विखे पाटील जी ने यहां पर जिस दूरदर्शिता के साथ किसानों की समृद्धि के लिए जो शक्कर कारखाना खोला वह आज भी कोऑपरेटिव तरीके से चल रहा है, जिसके लिए वह आनंदित हैं। बहुत सारे कोऑपरेटिव शुगर मिल प्राइवेट हो गए परंतु आनंद का विषय है कि कम से कम एक कारखाने को बचा कर रखा गया है और अच्छे से चलाया जा रहा है और यह प्रेरणा स्रोत अक्षुण्ण है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कोऑपरेटिव चाहे फाइनेंस के क्षेत्र में हो, चीनी मील के क्षेत्र में हो, दूध के क्षेत्र में हो, उर्वरक खाद के क्षेत्र में हो, वितरण के क्षेत्र में हो या मार्केटिंग के क्षेत्र में हो, उसे आज के समय के अनुकूल बनाना पड़ेगा। हमारी पद्धतियों को, हमारे एडमिनिस्ट्रेशन को मॉडर्नाइज करना पड़ेगा, कंप्यूटराइज करना पड़ेगा, हमारे कर्मचारियों में प्रोफेशनल को सम्मानित जगह देनी पड़ेगी, उनको जो पैकेज बाहर उपलब्ध है, वह पैकेज देने का काम भी करना पड़ेगा और उनको साथ में लेकर स्पर्धा के बीच में टिके रहने का दम सहकारिता आंदोलन में खड़ा करना पड़ेगा, तभी जाकर हम सहकारिता आंदोलन को और 50 से 100 साल आगे ले जाएंगे।

उन्होंने आगे कहा कि सहकारिता आंदोलन में एक नए प्राण फूँकने का समय था, उसी वक्त मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय बनाया है। हम इसकी यूनिवर्सिटी बनाने जा रहे हैं, मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव कानून भी बदलने जा रहे हैं और देश के सारे पैक्स का कंप्यूटराइजेशन भी करना चाहते हैं। जो क्षेत्र सहकारिता से नहीं जुड़े हैं उनको किस तरीके से जोड़ा जाए, इसकी स्टडी करने के लिए सचिवों की एक कमेटी काम कर रही है और आने वाले दिनों के में एक सहकार नीति भी लाई जाएगी जो 25 साल तक सहकारी आंदोलन में प्राण फूंकने का काम करेगी।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने शिरडी के साईं धाम में साईं बाबा के दर्शन कर देश की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की।

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