राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने हरियाणा को खरीफ विपणन अवधि 2021-22 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) संचालन के तहत धान खरीद के लिए 6836.48 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं।
एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक संदीप नायक ने कहा कि 1,000 करोड़ रुपये की राशि पहले ही दो चरणों में संवितरित की जा चुकी है और शेष राशि जल्द ही संवितरित की जाएगी।
ऐसा पहली बार हुआ है कि कुछ महीने पहले ही गठित केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय अपने महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थान एनसीडीसी के माध्यम से एमएसपी ऑपरेशन के तहत किसानों का सहयोग करने की दृष्टि से खाद्यान्न खरीद के लिए आगे आया है। समय से उठाए गए इस कदम का उद्देश्य पहले से ही कोविड-19 महामारी के कारण तनाव से जूझते किसानों को राहत प्रदान करना है। एनसीडीसी का उद्देश्य 25 सितंबर 2021 को आयोजित मेगा सहकारी सम्मेलन में व्यक्त केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री, श्री अमित शाह के दृष्टिकोण को साकार करना है।
हरियाणा ने पहले ही 3 अक्टूबर से एमएसपी पर धान की खरीद शुरू कर दी है।
भारत सरकार में सहकारिता सचिव डी के सिंह ने कहा कि “यह समय से उठाया गया कदम राज्य एजेंसियों को सहकारी समितियों के माध्यम से धान खरीद कार्यों को तुरंत शुरू करने में मदद सुनिश्चित करेगा और किसानों को विशेष रूप से कोविड -19 के दौरान सरकार द्वारा अधिसूचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अपनी उपज बेचने के लिए बेहद आवश्यक सहायता प्रदान करेगा।”
दूसरे शब्दों में, सहकारी समितियां इन अल्पावधि ऋणों का उपयोग राज्य की खरीद एजेंसियों की ओर से किसानों को तत्काल भुगतान करने के लिए किसानों से खाद्यान्न की खरीद के लिए करेंगी ताकि उन्हें अपने बकाये के लिए इंतजार न करना पड़े।
विशेष रूप से सहकारी समितियों के लिए एक प्रमुख आईएसओ 9001:2015 प्रमाणित वित्तीय संस्थान, एनसीडीसी देश में एमएसपी संचालन का समर्थन करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और आज की तारीख में इसने संचयी रूप से पूरे देश में एमएसपी संचालन के लिए 98,071 करोड़ रुपये और अकेले हरियाणा को 20,844 करोड़ रुपये संवितरित किए हैं।
इसके अलावा, 18 क्षेत्रीय कार्यालयों सहित अखिल भारतीय उपस्थिति के साथ, निगम का ध्यान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि तक’ के सपने को साकार करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में कृषि निवेशों, कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण, भंडारण और विपणन, क्षमता निर्माण और उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति के कार्यक्रमों की योजना, प्रचार और वित्तपोषण पर है।