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घाटे में चल रहे अधिकतर डीसीसीबी उत्तर भारत में; नाबार्ड की रिपोर्ट

देशभर के लगभग सभी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि 351 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में से 60 बैंक उक्त वित्तीय वर्ष में लाभ अर्जित करने में असफल रहे। घाटे में चल रहे अधिकतर डीसीसीबी उत्तर भारत में स्थित हैं।

इसका खुलासा हाल ही में जारी नाबार्ड की वर्ष 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट से हुआ।

रिपोर्ट के अनुसार, नाबार्ड ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर किसानों को ऋण का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए सहकारी बैंकों (16,800 करोड़ रुपये) और आरआरबी (6,700 करोड़ रुपये) को विशेष तरलता सुविधा (एसएलएफ) के तहत कुल 23,500 करोड़ रुपये का वितरण किया।

बता दें कि 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 33 राज्य सहकारी बैंक हैं जिनकी 2,072 शाखाओं का नेटवर्क है। वहीं 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 351 डीसीसीबी की 13,589 शाखाओं का नेटवर्क है। 6 लाख से अधिक गांवों को कवर करने वाले 95,995 पैक्स के 13.2 करोड़ सदस्य हैं। 13 राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक हैं जिनकी 13 राज्यों में 791 शाखाओं का नेटवर्क है।

वास्तव में, वित्त वर्ष 2019-20 में घाटा दर्ज करने वाले झारखंड और पुडुचेरी के राज्य सहकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2020-21  में क्रमशः 2.6 करोड़ रुपये और 23.4 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है।

रिपोर्ट में आगे दावा किया किया गया है कि 351 डीसीसीबी में से 60 डीसीसीबी को वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान शुद्ध घाटा हुआ है। घाटे में चल रहे डीसीसीबी में से तीन–चौथाई उत्तर प्रदेश (30%), मध्य प्रदेश (22%), पंजाब (13%), और बिहार (12%) में स्थित हैं।

वित्त वर्ष 2019-20  में घाटे में चल रहे 21 डीसीसीबी ने वित्त वर्ष 2020-21  के दौरान शुद्ध लाभ अर्जित किया। हालांकि, 108 डीसीसीबी ने 6,721 करोड़ रुपये का संचित घाटा दर्ज किया है।

13 एससीएआरडीबी में से 10 ने 287 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया, जबकि 3 (हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और पुडुचेरी) ने 35 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दिखाया है।  हरियाणा, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में एससीएआरडीबी ने वित्त वर्ष 2020-21 में अच्छा प्रदर्शन किया।

31 मार्च 2020 तक, 351 डीसीसीबी में से 126 का सकल एनपीए 15% से अधिक था। ऐसे डीसीसीबी की उच्च सबसे अधिक घटना मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में देखी गई। ओडिशा और तमिलनाडु के सभी डीसीसीबी का सकल एनपीए 15% से कम था।

31 मार्च 2020 तक सभी एससीएआरडीबी (केरल और पुडुचेरी को छोड़कर) का सकल एनपीए 10% से अधिक था। वित्त वर्ष 2020-21 में 33% का कुल सकल एनपीए वित्त वर्ष 2019-20  के स्तर से 650 आधार अंक अधिक था।

कुल मिलाकर 11.8% एसटीसीबी का सीआरएआर 31 मार्च 2020 के 9% मानदंड से अधिक था, हालांकि पुडुचेरी (7.3%), गोवा (3.4%), और केरल (7.3%) पिछे रह गये।

उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान नाबार्ड ने अल्पावधि (एसटी) पनुर्वित्त सविुधा के अतंर्गत राज्य सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (क्रमशः 77.2% और 22.8% हिस्सा) को कुल 1,30,964 करोड़ का संवितरण किया है ताकि वे किसानों, बुनकरों और कारीगरों की उत्पादन और कार्यशील पंजूी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।

महामारी के मद्देनजर, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास (रासकृग्रावि) बैंकों में चलनिधि की कमी को ध्यान में रखते हुए नाबार्ड ने अपनी निधियों से रियायती दर पर अपफ्रंट चलनिधि सहायता के रूप में पात्र रासकृग्रावि बैंकों को विशेष चलनिधि सुविधा उपलब्ध कराई ताकि बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण वितरण जारी रख सकें।

माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021 के दौरान लक्षित 90,000 करोड़ के अलावा नाबार्ड को ग्रामीण सहकारी बैंकों एवं क्षेत्रिय ग्रामिण बैंकों को 30,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त पनुर्वित्त देना था। इससे वित्तीय वर्ष 2021-22  के अंत तक कुल अल्पावधि पनुर्वित्त संवितरण 1.2 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा।

इसके अलावा, पैक्स कम्प्यूटरीकरण के लिए, नाबार्ड ने एक नई योजना शुरू की है जिसके तहत ऐसे राज्य सरकारों/ एसटीसीबी/ डीसीसीबी को 5 करोड़ रुपये तक की अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी, जो इस उद्देश्य के लिए एक समान अनुदान प्रदान करने के इच्छुक हैं।

नाबार्ड ने अभी तक आंध्र प्रदेश, बिहार, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में पैक्स कम्प्यूटरीकरण के लिए छह प्रस्तावों को मंजूरी दी है, जिसमें कुल 30 करोड़ रुपये का परिव्यय है, जिसमें से 5 करोड़ रुपये पहले ही तेलंगाना एसटीसीबी को वितरित किए जा चुके हैं।

नाबार्ड की वार्षिक रिपोर्ट का लिंक नीचे दिया गया है:

https://www.nabard.org/pdf/annual-report-2020-21-hindi-full-report.pdf

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