ताजा खबरें

जनजातीय क्षेत्रों में सक्रिय है ज्ञान शाले सौहार्द

यूं तो देश भर में राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियां समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने में हमेशा प्रसायरत रहती हैं, लेकिन जिला स्तर की समितियां भी गरीब परिवारों के उत्थान में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।

ऐसी ही एक खबर कर्नाटक के बैंगलोर जिले में स्थित चेन्नाहल्ली गांव से आई है, जहाँ ज्ञान शाले सौहार्द सहकारी समिति गांव के आदिवासी समुदाय की बड़े पैमाने पर मदद कर रही है। बैंगलोर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित होने के बावजूद भी इस गांव की स्थिति भयावह है।

ज्ञान शाले सौहार्द को-ऑपरेटिव लिमिटेड आदिवासी समुदाय को कम ब्याज दर पर माइक्रोफाइनेंस दे रही है। इसके अलावा, सोसाइटी ग्रामीणों को नए व्यावसायिक विचारों के बारे में भी शिक्षित कर रही  है।

“भारतीयसहकारिता” से बात करते हुए, सोसाइटी के अध्यक्ष श्रीधर नीलकांत ने कहा, “कोई भी बैंक उन्हें व्यवसाय शुरू करने या किसी अन्य गतिविधि के लिए ऋण देने को तैयार नहीं हैं। इस संदर्भ में हमारी टीम ने गांव का सर्वे किया और पाया कि अगर गांववासियों को अवसर दिया जाए तो वे  खुद को बदलने की क्षमता रखते हैं।

“हमने अपने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने का फैसला किया है। ग्रामीणों से बात करते हुए, हमने पाया कि ग्रामीण मवेशी खरीदना चाहते हैं, लेकिन पैसे की कमी के कारण वे ऐसा नहीं कर सकते। हम उन्हें समूह ऋण दे रहे हैं और अब तक हमने 2.5 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। ऋण चुकाने की अवधि एक वर्ष है”, नीलकांत ने इस संवाददाता से फोन पर कहा।

उन्होंने आगे कहा, “हमने ग्रामीणों से कहा है कि वे दूसरों के लिए काम करने के बजाय अपने गांव में अंगूर की धुलाई, ग्रेडिंग और पैकेजिंग करें। हमने उनसे कहा कि समिति उनसे अच्छे दाम पर अंगूर खरीदेगी और उन्हें अपने ब्रांड के नाम से बेचेगी। इसके लिए हमारी समिति उनकी मदद करेगी”, नीलकांत ने रेखांकित किया।

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि ग्रामीणों की स्थिति में सुधार के लिए कई गतिविधियाँ चलाई जा सकती हैं ।

अपनी कर्नाटक यात्रा के दौरान आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे ने भी सोसायटी के प्रयासों की सराहना की और इसे फेसबुक के माध्यम से साझा किया।

सोसायटी का कारोबार 175 करोड़ रुपये का है। सोसायटी में 4,000 से अधिक शेयरधारक हैं।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close