ताजा खबरें

एनसीडीसी का मधुमक्खी पालन पर अनूठा कार्यक्रम

विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर परएनसीडीसी ने मीठी क्रांति और आत्मानिर्भर भारत” पर एक वेबिनार का आयोजन कियाजिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ कई विशेषज्ञों ने भाग लिया। तोमर ने अपने सम्बोधन का वीडियो साझा किया।

इस वेबिनार के आयोजन की रूपरेखा एनसीडीसी के एमडी संदीप नायक के नेतृत्व में तैयार की गयी थी। इस अनूठे कार्यक्रम में 80 से अधिक प्रतिभागियों ने जूम के माध्यम से भाग लिया।   

इस वेबिनार में तोमर और एनसीडीसी के अधिकारियों के अलावा, उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री धन सिंह रावतसहकार भारती के अध्यक्ष रमेश वैद्यभारत सरकार के बागवानी आयुक्त– डॉ बीएनएस मूर्तिशेर-ए-कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो नज़ीर अहमद, पश्चिम बंगाल के अपर मुख्य सचिव, डॉ एमवी राव समेत अन्य मौजूद थे।

नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने वीडियो संबोधन में कहा, “मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिएकेंद्र सरकार ने 500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है और भारत आज दुनिया में शीर्ष पांच शहद-उत्पादक देशों में से एक है

मंत्री ने आगे कहा, “कई दिन पहले मधुमक्खी पालन क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन हुआ था। समिति ने इस संबंध में 14 संस्तुतियां पेश की हैं।

इस अवसर पर उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने कहा, “हमारे राज्य में पांच लाख से अधिक लोग मधुमक्खी पालन का काम कर रहे हैं और राज्य हर साल 2,250 क्विंटल शहद का उत्पादन कर रहा है। हमने 50 किसानों का समूह बनाया है”। आधुनिक इकाइयों की स्थापना के लिए उन्होंने केंद्र से सब्सिडी बढ़ाने का आग्रह किया।

सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश वैद्य ने हरित और श्वेत क्रांतियों के बाद “मीठी क्रांति” को प्रज्वलित करने की आवश्यकता पर पीएम के शब्दों को याद किया। उन्होंने कहा कि बाजार में शुद्ध शहद की अत्यधिक मांग है और कर्नाटक में एक मधुमक्खी पालन सहकारी संघ स्थापित करने का वादा किया हैजो मध्य प्रदेश की तर्ज पर होगाजहां सहकार भारती ने उत्कृष्ट कार्य किया है।

बागवानी आयुक्त – डॉ बी एन एस मूर्ति ने इस अवसर पर बोलते हुए बताया कि बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए केंद्र ने “राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन मधु मिशन” (एनबीएचएम) की स्थापना की है और देशी और विदेशी मधुमक्खी प्रजातियों पर काफी शोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में 16 एकीकृत विकास केंद्र हैं। 

महिला मधुमक्खी पालकों पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि वे निचले तबके की हैं। वर्तमान मेंशहद की उत्पादन-क्षमता लगभग 1.10 लाख मीट्रिक टन हैजिसे हम 2023-2024 तक बढ़ाकर 1.82 लाख मीट्रिक टन करना चाहते हैं। शहद के निर्यात को दोगुना करने की जरूरत है”, उन्होने आगे कहा।

शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी ऑफ कश्मीर के वाइस चांसलर प्रोफेसर नजीर अहमद ने कहा, ”वर्तमान मेंहमारे पास 5000 मधुमक्खी पालक हैं, एक लाख से अधिक कॉलोनी हैं और 800 टन शहद का उत्पादन हो रहा। इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। हम लाख कॉलोनियों की योजना बना रहे हैंजिसमें 40 हजार लोगों को रोजगार मिल सकता है और प्रत्येक व्यक्ति 1 से 1.5 लाख रुपये सालाना कमा सकता है।  

वक्ताओं में से एकडॉ एम वी राव ने कहा, “हमने सुंदरबन नेशनल पार्क क्षेत्रों में बड़ी संख्या में वन सहकारी समितियों का गठन किया है और 5 हजार से अधिक सदस्य समितियों के तहत काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये सदस्य जंगल का उपयोग शहद संग्रहण के लिए करते हैं और यह उल्लेखनीय है कि ये लोग न केवल बाघों के हमलों से खुद को बचाते हैं बल्कि बड़ी आय भी अर्जित करते हैं”। 

राव ने प्रतिभागियों को बताया, “हमने उन्हें पश्चिम बंगाल सहकारी बैंक से 30 लाख रुपये का कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान किया है। उन्होंने महीने से कम समय में करोड़ रुपये का शहद संग्रह किया”।

इस अवसर परएनसीडीसी ने मधुमक्खी पालकों को अपने क्षेत्र के अनुभवों को साझा करने के लिए एक मंच भी प्रदान किया है। वेबिनर में प्रश्न और उत्तर सत्र भी था।

कार्यक्रम की शुरुआत कर्नल बिक्रमजीत सिंह की एंकरिंग से हुई लेकिन जल्द ही एम डी ने मंच को संभालते हुए आगे की कार्रवाई शुरू की। उन्होंने लोगों को विशेषज्ञों से सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित किया। एनसीडीसी का धन्यवाद करते हुएप्रतिभागियों में से एक ने कहा कि यह एक अत्यधिक जानकारीपूर्ण कार्यक्रम था।

इस मौके पर एनसीडीसी की मुख्य निदेशक आर वनिता ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close