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इफको ने विश्व स्तर पर प्राप्त किया प्रथम स्थान; दिग्गजों को पछाड़ा

इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) को दुनिया की शीर्ष 300 सहकारी संस्थाओं में पहला स्थान मिला है।

यह रैंकिंग प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर कारोबार के अनुपात पर आधारित है। यह दर्शाता है कि इफको राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस (आईसीए) और यूरोपियन रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन कोऑपरेटिव एंड सोशल एंटरप्राइजेज ने हाल ही में वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर का 2023 संस्करण जारी किया। यह दुनिया भर की सबसे बड़ी सहकारी समितियों और उनके आर्थिक और सामाजिक प्रभाव की पड़ताल करने के साथ-साथ शीर्ष 300 सहकारिताओं की रैंकिंग, सेक्टर रैंकिंग और वर्तमान वैश्विक चुनौतियों के प्रति प्रतिक्रिया का विश्लेषण करती है।

टर्नओवर के आधार पर शीर्ष 300 रैंकिंग में, मंच पर दो वित्तीय और एक खुदरा उद्यम हैं। पहले दो स्थान पर फ्रेंच ग्रुप क्रेडिट एग्रीकोल (2021 में 117.01 बिलियन अमरीकी डालर का कारोबार) और जर्मन आरईडब्ल्यूई ग्रुप (2021 में 82.03 बिलियन अमरीकी डालर का कारोबार) हैं। ग्रुप बीपीसीई (2021 में 64.06 बिलियन अमरीकी डालर का कारोबार) तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।

शीर्ष 300 उद्यमों में से अधिकांश सबसे अधिक औद्योगिक देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका (73 उद्यम), फ्रांस (40 उद्यम), जर्मनी (31 उद्यम) और जापान (21 उद्यम) से हैं।

वर्ल्ड कोआपरेटिव मॉनिटर के बारे में: वर्ल्ड कोआपरेटिव मॉनिटर एक परियोजना है जिसे दुनिया भर में सहकारी समितियों के बारे में मजबूत आर्थिक, संगठनात्मक और सामाजिक आंकड़ा एकत्र करने के लिए बनाया गया है। यह दुनिया की शीर्ष 300 सहकारी समितियों और उनके सहयोगियों के प्रमुख आर्थिक और रोजगार डेटा पर रिपोर्ट करने के लिए प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है।

यूरिक्से ट्रेंटो (इटली) में स्थित एक शोध संस्थान है, जिसका ध्येय सहकारी समितियों, सामाजिक उद्यमों और वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में लगे अन्य गैर-लाभकारी संगठनों के क्षेत्र में ज्ञान विकास और नवाचार को बढ़ावा देना और इस प्रकार के संगठनों के बारे में गहरी समझ विकसित करना तथा आर्थिक और सामाजिक विकास पर उनके प्रभाव का अध्ययन करना है।

यूरिक्से की गतिविधियों का उद्देश्य सहकारी और सामाजिक उद्यम संबंधी अनुसंधान में हो रहे बिखराव को कम करना तथा वैज्ञानिक और राजनीतिक बहस में इस क्षेत्र की उपस्थिति को मजबूत करना है।

 

 

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