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केडीसीसी बैंक ने डिजिटल पहल से 1.13 करोड़ रुपये की बचत की

गुजरात का कायरा जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (केडीसीसी बैंक) सहकारी क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी एकीकरण का प्रेरणादायक उदाहरण बनकर उभरा है। बैंक ने ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान के तहत एक पूर्णतः डिजिटल, घर-घर पहुंच वाली बैंकिंग सेवा की शुरुआत की है, जो ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन को नई दिशा दे रही है।

चेयरमैन तेजसभाई पटेल के नेतृत्व में बैंक ने टैबलेट-आधारित लोन मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) की शुरुआत की, जिससे ऋण प्रक्रिया तेज, पेपरलेस और ग्राहक हितैषी बन गई है। यह पहल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं को पहले से कहीं अधिक सुलभ बनाने में सफल रही है।

मार्च 2024 में इस प्रणाली को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था, और जून में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा इसका औपचारिक उद्घाटन किया गया। अब बैंक अधिकारी टैबलेट के साथ ग्राहकों के घर पहुंचते हैं, दस्तावेज स्कैन करते हैं और ऋण आवेदन को डिजिटल माध्यम से आगे बढ़ाते हैं। पहले जहां प्रक्रिया में 30–40 दिन लगते थे, अब यह केवल 1–2 दिनों में पूरी हो जाती है।

चेयरमैन पटेल ने कहा, “तकनीक को अपनाकर हमने न केवल प्रक्रिया को तेज और किफायती बनाया है, बल्कि ग्राहकों को सम्मान और सुविधा भी प्रदान की है।”

वित्तीय वर्ष 2024–25 में, केडीसीसी बैंक ने 11,394 डिजिटल ऋणों की सफल प्रोसेसिंग कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इस पहल से जहां प्रत्येक ग्राहक को औसतन 1,000 रुपये की सीधी बचत के साथ कुल 1.13 करोड़ रुपये की आर्थिक राहत मिली, वहीं बैंक ने 7.98 लाख रुपये की संचालन लागत में उल्लेखनीय कटौती की।

डिजिटल प्रणाली के तहत रियल-टाइम एसएमएस अलर्ट ने ग्राहकों की शाखा पर निर्भरता को कम कर दिया, जिससे न केवल पारदर्शिता में वृद्धि हुई बल्कि ग्राहक संतुष्टि भी नए शिखर पर पहुंच गई।

केडीसीसी बैंक की डिजिटल-फर्स्ट सोच न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान को मजबूती देती है, बल्कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह की “सहकार से समृद्धि” की परिकल्पना को भी साकार करती है।

बताया जा रहा है कि केडीसीसी गुजरात का पहला जिला सहकारी बैंक बना, जिसने व्हाट्सएप बैंकिंग और कस्टमर सर्विस सेंटर की शुरुआत की। इसके साथ ही बैंक ने एक मजबूत डॉक्युमेंट मैनेजमेंट सिस्टम भी लागू किया है, जिससे ग्राहक और ऋण रिकॉर्ड एक क्लिक में डिजिटल रूप से प्राप्त किए जा सकते हैं।

ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए, दुग्ध सहकारी समितियों को बिजनेस करेस्पॉन्डेंट्स (BCs) के रूप में नामित किया गया है, जो माइक्रो-एटीएम के माध्यम से नकद वितरण की सुविधा प्रदान करेंगे। इसके साथ ही नेट बैंकिंग सेवाएं भी शीघ्र शुरू होने की योजना में हैं।

बैंक का आदर्श वाक्य, “आपणु बैंक, आपल्या अंगणे” (हमारा बैंक, आपके द्वार) अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल परिवर्तन का सशक्त मॉडल बन चुका है।

केडीसीसी बैंक आज देशभर के सहकारी बैंकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है, जो यह सिद्ध करता है कि सही नेतृत्व और दूरदृष्टि से पारंपरिक संस्थाएं भी डिजिटल युग की अगुवाई कर सकती हैं।

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