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सरकार ने नैनो यूरिया में जल्दबाजी की खबर को किया खारिज

नैनो यूरिया के ट्राइल्स पर मीडिया में छपी एक खबर पर भारत सरकार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह समाचार भ्रामक और गलत है।

समाचार रिपोर्ट में इसे गलत तरीके से उद्धृत किया गया है कि प्रक्रिया को “फास्ट ट्रैक” किया गया। यह स्पष्ट किया जाता है कि उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ), 1985 के अनुसार अधिसूचना के लिए किसी भी उर्वरक के पंजीकरण के लिए स्थापित और मौजूदा प्रक्रिया पूरी तरह से जवाबदेह है।

नैनो यूरिया को एफसीओ के तहत अस्‍थायी रूप से अधिसूचित किया गया है जो एफसीओ, 1985 के अंतर्गत उर्वरकों के परिचय के लिए मौजूदा प्रक्रिया पर आधारित है, जिसमें केवल दो मौसमों के डेटा की आवश्यकता होती है।

नैनो यूरिया को आईसीएआर और राज्य कृषि विश्‍वविद्यालयों के वैज्ञानिकों से प्राप्त उत्साहजनक परिणामों और जानकारी के आधार पर एफसीओ के तहत अस्‍थायी रूप से अधिसूचित किया गया है। केन्‍द्रीय उर्वरक समिति (सीएफसी), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (एमओए और एफडब्ल्यू) ने भी इस संबंध में डेटा और उचित विचार-विमर्श के आधार पर इसकी सिफारिश की है।

इसके अलावा, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) को भी सुरक्षा और जैव सुरक्षा मुद्दे के बारे में बताया गया है। प्रभावोत्‍पादकता, जैव सुरक्षा और जैव विषाक्तता के संबंध में संतुष्टि के बाद ही नैनो यूरिया को नैनो उर्वरकों की एक अलग श्रेणी के रूप में एफसीओ के तहत लाया गया है।

इसके अलावा, डेटा दो मौसमों तक ही सीमित नहीं है जैसा कि समाचार रिपोर्ट में गलत जानकारी दी गई है, क्योंकि पिछले चार से अधिक मौसमों के लिए अनुसंधान और किसान खेत परीक्षण जारी रखा गया है।

नैनो यूरिया के मूल्यांकन के लिए, प्रमुख आईसीएआर अनुसंधान संस्थान और राज्य कृषि विश्वविद्यालय नैनो यूरिया परीक्षणों में अग्रणी रहे हैं। फसल उत्पादकता से जुड़े विभिन्न पहलुओं; उर्वरकों की खुराक में कमी, किसानों की लाभप्रदता को इन परीक्षणों के माध्यम से निपटाया गया है।

विभिन्न स्थानों और कृषि-जलवायु क्षेत्रों में नैनो यूरिया-तरल (नैनो एन) के उपयोग के परिणामों से पता चला है कि चावल, गेहूं, मक्का, टमाटर, खीरा और शिमला मिर्च जैसी फसलों के महत्वपूर्ण विकास चरणों में नैनो यूरिया का पत्‍तों संबंधी उपयोग नाइट्रोजन उर्वरकों के उपयोग में कमी लाता है और गेहूं की उपज में 3-23 प्रतिशत की वृद्धि; टमाटर में 5-11 प्रतिशत; धान/चावल में 3-24 प्रतिशत; मक्का में 2-15 प्रतिशत, ककड़ी में 5 प्रतिशत और शिमला मिर्च में 18 प्रतिशत बढ़ाता है।

विज्ञान और वैज्ञानिक प्रयास एक निरंतर जारी रहने वाली प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया में अवधारणा से बदलाव की अवस्‍था तक महत्वपूर्ण प्रयास चलते हैं। नैनो उर्वरक इस मायने में अनूठे हैं कि वे वर्तमान तीव्र कृषि कार्य प्रणालियों के सामने आने वाली चुनौतियों का निपटारा करने के अपरिमित अवसर देता है जो अंतत: मिट्टी, हवा और पानी को नुकसान पहुंचाते हैं।

इसलिए अनावश्‍यक खतरों से बचते हुए नैनो यूरिया जैसे नैनो उर्वरकों को रासायनिक उर्वरकों की पोषक तत्व उपयोग दक्षता (एनयूई) के गिरते परिप्रेक्ष्य और वैकल्पिक समाधान में समग्र रूप से देखा जाता है जिन्हें किसानों को उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।

 

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