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पारंपरिक विश्वविद्यालय से बेहतर होगा सहकारी विश्वविद्यालय: जामिया वीसी

एनसीयूआई द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए जामिया विश्वविद्यालय की कुलपति सुश्री नजमा अख्तर ने सहकारी यूनिवर्सिटी के गठन की वकालत की और कहा कि सहकारी विश्वविद्यालय पारंपरिक विश्वविद्यालयों से बेहतर होगा।

“सहकारी विश्वविद्यालय के गठन से सहकारी समितियों से जुड़े सदस्यों को काफी लाभ होगा। यह विश्वविद्यालय सामाजिक न्याय, सहकारी सिद्धांतों और मूल्यों को बढ़ावा देगा”, उन्होंने कहा।

इस वेबिनार की अध्यक्षता एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने की, जिसमें सहकारी क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधियों के अलावा एसआरसीसी कॉलेज की प्रोफेसर मल्लिका कुमारी समेत अन्य लोग मौजूद थे।

डॉ यशवंत डोंगरे, कुलपति, चाणक्य विश्वविद्यालय, बैंगलोर ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि, मूल रूप से सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना सहकारी समितियों द्वारा होनी चाहिए लेकिन सहकारी क्षेत्र के लिए अलग मंत्रालय बनाने के साथ सहकारी यूनिवर्सिटी का गठन सरकार द्वारा उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में किया जा सकता है।

अपने संबोधन में, एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा कि सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना सरकार के ‘सहकार से समृद्धि’ के मंत्र के अनुरूप की जानी चाहिए। सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा दिये जाने वाले डिप्लोमा कोर्स को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है और इस प्रकार एक सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना से छात्रों को नौकरी मिलने में आसानी होगी।

केंद्रीय सहकारिता मंत्री के ओएसडी डॉ के.के. त्रिपाठी ने अपनी प्रस्तुति में इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि जहां एक ओर सहकारी क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध की कमी है वहीं दूसरी ओर सहकारी विश्वविद्यालय इस दिशा में अधिक ध्यान केंद्रित करेगा। विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले सहकारी संगठनों की शिक्षा और प्रशिक्षण की जरूरतों का उचित आकलन करने की जरूरत है।

वैम्निकॉम, निदेशक, सुश्री हेमा यादव ने कहा, सहकारी शिक्षा के सार्वभौमिकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और इसके लिए सहकारी विश्वविद्यालयों की स्थापना महत्वपूर्ण है।

सुश्री मल्लिका कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स ने कहा कि सहकारी विश्वविद्यालय को सहकारिता की जरूरतों के अनुसार नवोन्मेषी पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए, वहीं युवाओं को सहकारी क्षेत्र की ओर आकर्षित करने के लिए अनुभवात्मक शिक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डॉ. सुधीर महाजन ने अपने उद्घाटन भाषण में शीर्ष संस्था की नई पहलों पर प्रकाश डाला।

वेबिनार का समन्वय और संचालन संजय वर्मा, निदेशक, पब/पीआर, एनसीयूआई द्वारा किया गया था।

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