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जल्द ही एनसीसीटी होगा एनसीयूआई का हिस्सा: संघानी

जानकार सूत्रों का मानना है कि एनसीसीटी जल्द ही इसके मूल निकाय एनसीयूआई का हिस्सा बनने जा रहा है। दिलीप संघानी के एनसीयूआई के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने के तुरंत बाद इस मामले के समाधान के कयास लगने लगे थे।

सूत्रों ने बताया कि इस मामले को सुलझाने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों ने काफी विचार विमर्श किया और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।

इसकी पुष्टि करते हुए, एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा कि, इस मामले पर कार्रवाई जल्दी होनी थी लेकिन कुछ अप्रत्याशित घटनाओं के कारण थोड़ा विलंब हुआ। उन्होंने कहा कि पहले किसान आंदोलन और फिर कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण मामले को सुलझाने में देरी हुई है।

“उच्चतम स्तर पर यह तय हुआ है कि एनसीसीटी और एनसीयूआई के वकील के साथ बैठकर कोई रास्ता खोजा जाएगा। सच बात तो यह है कि करोना वाइरस के कारण वकीलों के साथ निर्धारित बैठकों को रद्द करना पड़ा है”, संघानी ने बताया।

संघानी ने आगे कहा कि, चूंकि अब कोरोना के केस कम आ रहे हैं इसलिए मैं वकीलों से जल्द से जल्द मिलने वाला हूँ। मामले को सरकार के सर्वोच्च निकाय से मंजूरी मिल गई है”, संघानी ने इस मुद्दे पर तोमर और रूपाला दोनों के अनुमोदन की ओर इशारा करते हुए कहा।

“भारतीयसहकारिता” को मिली जानकारी के मुताबिक, संघानी ने दोनों मंत्रियों से मुलाकात कर उन्हें एनसीसीटी को पुनः एनसीयूआई का हिस्सा बनने की आवश्यकता पर जोर दिया। पाठकों को याद होगा कि पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के कार्यकाल में विभाजन की करवायी हुई थी और एनसीसीटी को एनसीयूआई से अलग किया गया था।

सूत्रों का कहना है कि वर्तमान सरकार एनसीसीटी को एनसीयूआई के प्रशासनिक नियंत्रण में लाने पर सहमत हो गई है क्योंकि एनसीयूआई के शीर्ष पर मौजूद व्यक्ति अब गैर-बीजेपी नेता नहीं हैं। उन्होंने बताया कि संघानी, सहकारी निकायों को चलाने के अपने विशाल अनुभव के साथ एनसीसीटी को सुचारू रूप से चला सकते हैं।

गौरतलब है कि फरवरी, 2018 में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने एनसीसीटी को एनसीयूआई से अलग करने का आदेश जारी किया था। मंत्रालय का तर्क है, “चूंकि एनसीसीटी सरकारी अनुदान पर चलता है, इसलिए एनसीयूआई जैसी निजी संस्था इसे क्यों नियंत्रित करे”।

एनसीयूआई ने आदेश को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले पर कई बार सुनवाई हुई लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। इस बीच, संघानी के अध्यक्ष बनने पर मंत्रालय का रुख नरम हो गया है और वे एनसीसीटी को एनसीयूआई से जोड़ने पर सहमत हो गए हैं।

यह कहानी नेफेड की तरह है, जो संघानी के उपाध्यक्ष बनने के तुरंत बाद फर्श से अर्श पर आ गई। आज यह संस्था सुचारू रूप से सहकारी समितियों और किसानों की बेहतरी के लिए काम कर रही है। एनसीयूआई के एक शीर्ष अधिकारी ने दावा किया, “एनसीसीटी को संघानी की छत्रछाया में एनसीयूआई में वापस लाने के बाद एनसीसीटी का भविष्य भी उज्ज्वल होगा।”

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