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इफको: किसानों के लिए तैयार दुनिया का पहला नैनो यूरिया

सोमवार को उर्वरक सहकारी संस्था इफको की वर्चुली आयोजित 50वीं वार्षिक आम बैठक में उस समय उत्साह का माहौल देखने को मिला जब संस्था के प्रबंध निदेशक डॉ यू एस अवस्थी ने 800 से अधिक प्रतिनिधियों के समक्ष स्वदेशी रूप से विकसित विश्व का पहला ‘नैनो यूरिया’ तरल पेश किया।

इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अवस्थी ने कहा, “यह दुनिया का पहला नैनो यूरिया लिक्विड है, जिसे मिट्टी में यूरिया के प्रयोग में कमी लाने की प्रधानमंत्री की अपील से प्रेरित होकर तैयार किया गया है।”

इस मौके पर केवल 28 आरजीबी सदस्य मुख्यालय में उपस्थित थे, जिन्हें कोविड-19 नियमों को ध्यान में रखकर उचित दूरी के साथ बैठाया गया था, बाकी करीब 800 प्रतिनिधि टेक्नोलॉजी के माध्यम से जुड़े थे।

इफको के उपाध्यक्ष दिलीप संघानी ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बताया। एजीएम के दौरान इफको के प्रबंध निदेशक ने नैनो बोतल को हाथ में लेकर आरजीबी सदस्यों के सामने लहराते हुए अपनी खुशी को जाहिर किया।

इफको के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने सच्चे और समर्पित अनुसंधान के बाद नैनो यूरिया तरल को स्वदेशी और प्रोपाइटरी तकनीक के माध्यम से कलोल स्थित नैनो जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र में तैयार किया है ।

यह नवीन उत्पाद ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘आत्मनिर्भर कृषि’ की दिशा में एक सार्थक कदम है। इफको नैनो यूरिया तरल को पौधों के पोषण के लिए प्रभावी व असरदार पाया गया है  । इसके प्रयोग से फसलों की पैदावार बढ़ती है तथा पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होता है । नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने तथा जलवायु परिवर्तन व टिकाऊ उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा, इफको की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।

किसानों द्वारा नैनो यूरिया तरल के प्रयोग से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होंगे और मिट्टी में यूरिया के अधिक प्रयोग में कमी आएगी। यूरिया के अधिक प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित होता है, मृदा स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है, पौधों में बीमारी और कीट का खतरा अधिक बढ़ जाता है, फसल देर से पकती है और उत्पादन कम होता है । साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है । नैनो यूरिया तरल फसलों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है तथा फसलों को गिरने से बचाता है ।

इफको नैनो यूरिया किसानों के लिए सस्ता है और यह किसानों की आय बढ़ाने में प्रभावकारी होगा । इफको नैनो यूरिया तरल की 500 मि.ली. की एक बोतल सामान्य यूरिया के कम से कम एक बैग के बराबर होगी । इसके प्रयोग से किसानों की लागत कम होगी ।‌ नैनो यूरिया तरल का आकार छोटा होने के कारण इसे पॉकेट में भी रखा जा सकता है जिससे परिवहन और भंडारण लागत में भी काफी कमी आएगी ।

राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली(एनएआरएस) के तहत 20 आईसीएआर संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्द्रों में 43 फसलों पर किये गये बहु-स्थानीय और बहु-फसली परीक्षणों के आधार पर इफको नैनो यूरिया तरल को उर्वरक नियंत्रण आदेश(एफसीओ, 1985) में शामिल कर लिया गया है ।

इसकी प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिए पूरे भारत में 94 से अधिक फसलों पर लगभग 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण(एफएफटी) किये गये थे । हाल ही में पूरे देश में 94 फसलों पर हुए परीक्षणों में फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है ।

इफको नैनो यूरिया तरल को सामान्य यूरिया के प्रयोग में कम से कम 50 प्रतिशत कमी लाने के प्रयोजन से तैयार किया गया है । इसके 500 मि.ली. की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा ।
इफको नैनो यूरिया का उत्पादन जून 2021 तक आरंभ होगा और शीघ्र ही इसका व्यावसायिक विपणन भी शुरू हो जाएगा ।

इफको ने किसानों के लिए 500 मि.ली. नैनो यूरिया की एक बोतल की कीमत 240/- रुपये निर्धारित की है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के मूल्य से 10 प्रतिशत कम है ।

समिति ने इस उत्पाद के बारे में किसानों को पूरी जानकारी देने के लिए एक व्यापक देशव्यापी प्रशिक्षण अभियान चलाने की योजना बनायी है। ये उत्पाद इफको के ई-कॉमर्स प्लेटफार्म www.iffcobazar.in.के अतिरिक्त मुख्य रूप से सहकारी बिक्री केन्द्रों और अन्य विपणन माध्यमों से किसानों को उपलब्ध कराये जाएंगे ।

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