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लखनऊ स्थित पृथ्वी क्रेडिट को-ऑप को बंदी का नोटिस

सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार ने हाल ही में लखनऊ स्थित पृथ्वी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड को बंद करने का आदेश जारी किया है।

सोसाइटी को सदस्यों और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने और सहकारी सिद्धांतो पर कार्य न करने के लिए दोषी पाया गया है।

यह एक बहु-राज्य सहकारी समिति है, जिसका संचालन क्षेत्र उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में है। अपनी कई शाखाओं के माध्यम से सोसाइटी ने निवेशकों के पैसों को इधर से उधर किया था।

सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार विवेक अग्रवाल के हस्ताक्षर से जारी परिपत्र में उल्लेख है, “पृथ्वी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, 102, सफायर, कोर्ट अपार्टमेंट, 3-ए जॉपलिंग रोड, लखनऊ पब्लिक स्कूल के पास, लखनऊ, यूपी 226 001 (पंजीकरण संख्या  (MSCS/CR/ 667/2012) मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 और नियमों के प्रावधानों के तहत पंजीकृत है।”

इसमें आगे लिखा है, “उत्तराखंड सरकार ने दिनांक 05.11.2019 को पत्र में लिखा था जिसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि सोसाइटी ने सदस्यों और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की है और सहकारी सिद्धांतों के विरुद्ध काम किया है”।

“सोसायटी को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए 06.03.2020 को बुलाया गया था ताकि वह अपने अध्यक्ष/मुख्य कार्यकारी के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से इस प्राधिकार के समक्ष उपस्थित हो सके। नोटिस को आधिकारिक वेबसाइट यानि  www.mscs.dac.gov.in पर भी अपलोड किया गया था। उक्त सुनवाई में सोसाइटी का कोई भी व्यक्ति उपस्थित नहीं हुआ। बोर्ड के निदेशकों/सोसायटी के निर्वाचित सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से नोटिस जारी करने का निर्णय लिया गया है”, परिपत्र में आगे लिखा है।

तदनुसार, सोसायटी के बोर्ड निदेशकों और सभी सदस्यों को 27.07.2020 पत्र जारी किया गया था। उनमें से कुछ ने अपना जवाब प्रस्तुत किया है और इस बात से इनकार किया है कि वे सोसाइटी के बोर्ड के सदस्य/निदेशक हैं।

पत्र में लिखा है, “ऊपर दिए गए कथन के आलोक में, ऐसा प्रतीत होता है कि सोसाइटी अपने पंजीकृत पते पर काम नहीं कर रही है। इसलिए, अधिनियम और नियमों के तहत सोसायटी को बंद करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया है”।

अपने पत्र में केंद्रीय रजिस्ट्रार ने आगे कहा, “अगर किसी को भी इसके लिए कोई आपत्ति है, वह आधिकारिक वेबसाइट- www.mscs.dac.gov.in – पर अपलोड किए गए इस विज्ञापन की तारीख से 15 दिनों के भीतर केंद्रीय रजिस्ट्रार के ध्यान में ला सकता है, जिसमें विफल होने पर सोसायटी को बंद करने के लिए कार्रवाई शुरू की जाएगी।

पाठकों को याद होगा कि इससे पहले, सोसायटी के अध्यक्ष पीयूष अवस्थी और कई निदेशकों को धोखाधड़ी और भोले-भाले निवेशकों को गुमराह करने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

कहा जा रहा है कि कई निवेशकों ने सोसायटी के साथ फिक्स्ड डिपॉजिट किया था, लेकिन परिपक्वता के बाद सोसायटी प्रबंधन उनका पैसा चुकाने में असफल रही। यह करोड़ों रुपये का घोटाला है।

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