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रुपी बैंक पर जारी दिशा-निर्देश में विस्तार; विलय पर आरबीआई चुप

पुणे स्थित रुपी को-ऑपरेटिव बैंक से जुड़े पीड़ित निवेशकों को राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है क्योंकि भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक बार फिर बैंक को जारी दिशा-निर्देश की अवधि का अगले तीन महीने के लिए विस्तार किया है।

गौरतलब है कि रुपी बैंक कभी अर्बन कॉपरेटिव बैंकिंग सेक्टर में एक सफल सहकारी बैंक के रूप में गिना जाता था। हालांकि जिन लोगों ने इस बैंक में अपनी गाढ़ी कमाई का निवेश किया था, आज उन लाखों जमाकर्ताओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है। इस बीच पहले ऐसी अटकलें लगाई जा रही थी कि मुंबई स्थित एमएससीबी के साथ इस बैंक का विलय होगा लेकिन फिलहाल इस संबंध  में अनिश्चिता बनी हुई है।

मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में, आरबीआई ने उल्लेख किया, “जनता की जानकारी के लिए एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए की उप-धारा(1) [सहपठित धारा 56] के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा निर्देश देता है कि, समीक्षा के अधीन, उपरोक्त निर्देश रुपी सहकारी बैंक पर 30 नवंबर 2020 तक लागू रहेगा”।

पाठकों को याद होगा कि रुपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पुणे को 22 फरवरी, 2013 को दिशा-निर्देशों के तहत रखा गया था। दिशा-निर्देशों की वैधता समय-समय पर बढ़ाई गई थी। अंतिम विस्तार 31 अगस्त, 2020 तक वैध था।

हमने पहले इस मुद्दे पर एमएससीबी के प्रशासनिक बोर्ड के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर से बात की थी जिन्होंने कहा कि वह अभी भी महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के साथ रुपी बैंक के विलय के प्रस्ताव पर आरबीआई से प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

मंगलवार को दिए गए विस्तार का मतलब है कि मामला किसी ठोस दिशा में आगे नहीं बढ़ा है। अनास्कर का कहना था कि एमएससीबी द्वारा भेजे गए विलय प्रस्ताव के बारे में आरबीआई से पूछना बेहतर होगा। हालांकि आरबीआई इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।

यहाँ तक कि इस मुद्दे को हल करने में राज्य सरकार का प्रयास भी अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम लेकर नहीं आया है। विलय के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एमएससीबी के प्रबंधन के साथ आरबीआई से संपर्क किया था। आरबीआई के कहने पर, एमएससीबी ने भी 31 मार्च तक की अपनी वित्तीय स्थिति के विवरण प्रस्तुत किए हैं।

इस बीच, सभी बाधाओं को पार करते हुए रुपी सहकारी बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 में 19.55 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ कमाया है। कहा जाता है कि कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी और प्रशासनिक खर्चों को घटाकर ऋण-ग्रस्त रुपी सहकारी बैंक लाभ अर्जित करने में सफल हुआ है।

बैंक ने कुल 15.40 करोड़ रुपये की वसूली की है। बैंक में कुल जमा राशि 1,289.72 करोड़ रुपये है और लगभग 5 लाख जमाकर्ताओं और 35 शाखाओं के साथ 298.50 करोड़ रुपये का ऋण है।

मंगलवार को जारी अधिसूचना में, आरबीआई का कहना है कि संदर्भ के तहत निर्देशों के अन्य सभी नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी।

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