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आभासी प्रशिक्षण की चुनौतियां: वामनिकॉम और आईसीए की संयुक्त कॉन्फ्रेंस

वामनिकॉम और इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस (आईसीए) ने हाल ही में “ऑनलाइन राउंडटेबल ऑन कोऑपरेटिव ट्रेनिंग एंड एजुकेशन रिमोट लर्निंग”, एड टेक एंड कोविद” का आयोजन किया। इस अवसर पर भारत से ही नहीं, बल्कि अन्य देशों के सहकारी नेताओं और अधिकारियों ने भाग लिया।

वामनिकॉम द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, डॉ डी वी देशपांडे ने अपनी परिचयात्मक टिप्पणी में प्रशिक्षण और शिक्षा में कोविड-19 के कारण प्रतिमान बदलाव के बारे में बात की।

चर्चा की शुरुआत करते हुए, डॉ के के त्रिपाठी ने कोविड-19 से उत्पन्न चुनौतियों और उन पर काबू पाने के लिए संभव उपाय का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि “वामनिकॉम” ने चुनौतियों से निपटने के लिए संकायों और संस्थान के अन्य सदस्यों के साथ विचार-मंथन सत्र आयोजित किए हैं।

प्रशिक्षण संस्थान वामनिकॉम के डायरेक्टर डॉ त्रिपाठी ने पैनल के सदस्यों से आग्रह किया कि वे इस बात पर मार्गदर्शन करें कि भारत में सहकारिता शिक्षा के प्रशिक्षण की गतिविधियों को कैसे चलाया जाना चाहिए। उन्होंने डिग्री प्रदान करने, न्यूनतम योग्यता, जैसे पहलुओं पर मार्गदर्शन का आह्वान किया।

आईसीए ए पी के क्षेत्रीय निदेशक डॉ बालू अय्यर ने अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि कोविड के मद्देनजर प्रतिभागी आमने- सामने की बातचीत और क्षेत्रीय दौरे नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समय शिक्षा प्रति-चक्रीय हो गयी है। विभिन्न मुद्दे उभर रहे हैं, जैसे मानव संसाधन को कम करना, वेतन में कटौती, इत्यादि, जिसका व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

ऑस्ट्रेलिया के एक प्रमुख शिक्षाविद डॉ सिडसेल ग्रामस्टैड ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालय भारतीय छात्रों पर अधिक निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि कई अन्य देशों के विश्वविद्यालयों की आय में 40% की गिरावट आयी है। उन्होंने आगे कहा कि संस्थान विशिष्ट उद्योग-उन्मुख पाठ्यक्रम डिजाइन करके विदेश से छात्रों को आकर्षित कर सकते हैं।

ग्रामस्टेड ने कहा कि “वित्त और रोजगार” महत्वपूर्ण कारक हैं जो नई चीजों के निर्माण में बाधा उत्पन्न करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थानों के संकाय लाइव कार्यशालाओं का आयोजन कर सकते हैं, व्याख्यान रिकॉर्ड कर सकते हैं और अध्ययन सामग्री अपलोड कर सकते हैं। उनकी सकारात्मक बात यह है कि विद्यार्थी आजकल सीखने के लिए तैयार और तकनीक के जानकार हैं।

इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ बुरहानुद्दीन अब्दुल्ला ने एक प्रस्तुति साझा की, जो कोविड-19 के प्रभावों पर केंद्रित थी।  उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण कम प्रभावी साबित हो रहा है।

एक अन्य विदेशी प्रतिभागी मोहम्मद रोसलान बानी अमीन ने कहा कि कोविड-19 हमारी सारी दुनिया के लिए एक त्रासदी है। संस्थानों को आभाषी शिक्षण/प्रशिक्षण [वर्चुअल लर्निंग] में शिफ्ट होना पड़ेगा। उन्हें ऑनलाइन पाठ्यक्रम डिजाइन करने में रचनात्मक होना होगा।

डॉ हरेकृष्ण मिश्र ने कहा कि दैनिक जीवन में तकनीकी का उपयोग आवश्यक हो गया है। उन्होंने संस्थान के अपने अनुभव को साझा किया कि कैसे उन्होंने एक दु:खद  स्थिति का सामना किया क्योंकि कोविड-19 के प्रकोप के दौरान परिसर से लगभग 300 से 500 छात्रों को हटाना और यह सुनिश्चित करना कि वे अपने गंतव्यों तक सुरक्षित पहुँच गए, चुनौतीपूर्ण था।

एनसीसीई के हेड डॉ वी के दुबे ने प्रस्तुति को साझा किया और कार्यक्रमों की गुणवत्ता, संगठन के खर्च और अन्य पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का समापन करते हुए, कार्यक्रम प्रबंधक (आईसीए) – मोहित दवे ने वक्ताओं, प्रायोजकों, प्रतिभागियों और वामनिकॉम को इस कार्यक्रम के संचालन में सहयोग प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया।

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