चीनी सहकारी मिलों की शीर्ष संस्था नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (एनएफ़सीएसएफ़) ने देश-भर की सहकारी चीनी मिलों को वर्ष 2018-19 के लिए 21 दक्षता पुरस्कार घोषित किये हैं। पुरस्कार 28 अगस्त 2019 को दिल्ली में आयोजित एनएफसीएसएफ के वार्षिक आम सभा के दौरान दिये जाएंगे।
भारत में “द बेस्ट कॉप शुगर मिल्स” का पुरस्कार महाराष्ट्र के छत्रपति शाहू एसएसके लिमिटेड, कागल, कोल्हापुर को मिला है।21 पुरस्कारों में से महाराष्ट्र ने 10 पुरस्कार प्राप्त किए हैं और राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया, जिसके बाद उत्तर प्रदेश को 4 पुरस्कार मिले।
हरियाणा, गुजरात और तमिलनाडु राज्य की सहकारी चीनी मिलों को क्रमशः दो पुरस्कार मिले हैं। मध्य प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर एक पुरस्कार मिला। इस वर्ष देश-भर में 99 सहकारी चीनी मिलों ने पुरस्कार प्रतियोगिता 2018-19 में भाग लिया।
एनएफसीएसएफ दक्षिण दिल्ली के अपस्केल क्षेत्र में स्थित अपने कार्यालय के साथ देश में चीनी सहकारी समितियों का सर्वोच्च निकाय है। एनएफसीएसएफ की लगभग 258 सहकारी चीनी मिलें और 9 राज्य सहकारी संघ सदस्य हैं।
एक प्रेस विज्ञप्ति में शीर्ष निकाय ने कहा कि पुरस्कृतों का प्रदर्शन मूल्यांकन केन विकास, तकनीकी दक्षता और वित्तीय प्रबंधन के आधार पर किया जाता है, जिसके आधार पर अधिकतम स्कोर वाले मिलों को पुरस्कार प्रदान किया जाता हैं।
भारत सरकार के सभी संबंधित मंत्रालयों और पीएमओ के साथ चीनी, इथेनॉल और गौण-उत्पादों के संबंध में निकट संपर्क साधने में एनएफसीएसएफ प्रमुख भूमिका निभाती है।
एनएफसीएसएफ ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुख्य निदेशक (चीनी) की अध्यक्षता में सिल्वर जुबली वर्ष 1985 के बाद से सहकारी चीनी मिलों को बढ़ावा देने के लिए अपने पुरस्कार समारोह का आरंभ किया।
कारखानों को दो क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है जिनका नाम ‘हाई रिकवरी एरिया’ (एचआरए) और ‘अन्य रिकवरी एरिया’ (ओआरए) है। ‘हाई रिकवरी एरिया’ में 10% की रिकवरी है और इसमें महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक शामिल हैं। ‘अन्य रिकवरी एरिया’ में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु राज्य हैं जहां 10% से कम रिकवरी है।