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कृषि क्षेत्र में सुधार: भारत के शीर्ष नौकरशाहों द्वारा विचार विमर्श

भारत के शीर्ष नौकरशाहों ने हाल ही में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिये एक वेबिनार के माध्यम से विचार-विमर्श किया। इस वेबिनार में कृषि एवं किसान कल्याण, सचिव, संजय अग्रवाल, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, सचिव, अतुल चतुर्वेदी, मत्स्य पालन, सचिव, डॉ. राजीव रंजन और खाद्य प्रसंस्करण, सचिव, डॉ. पुष्पा सुब्रह्मण्यम ने भाग लिया।

कृषि क्षेत्र पर चर्चा करने के लिये दो वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनारों को संबोधित करते हुए, संजय अग्रवाल, सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि हमें खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अग्रवाल ने कहा कि भारत में खाद्य प्रसंस्करण 10% से भी कम होता है और इसे बढ़ाकर 25% करने का लक्ष्य है।मूल्य वर्धित स्वास्थ्यवर्धक और प्रसंस्कृत खाद्यों की मांग बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को भी कई सक्षम योजनाओं के माध्यम से मजबूती  प्रदान की जा रही है जैसे कि फसल कटाई के बाद की अवसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये वाली एग्री इंफ्रा फंड, 10,000 एफपीओ के लिए योजना, 25 मिलियन किसानों को शामिल करने के लिए विशेष अभियान, जिनके पास अभी तक केसीसी उपलब्ध नहीं है, और एक डिजिटल एग्री-स्टैक विकसित करना, जो ऑनलाइन बाजार और स्मार्ट कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक होगा।

सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण, ने किसानों को उच्च आय और बेहतर गुणवत्ता वाले उद्यमियों में परिवर्तित करके, कृषि को ‘आत्मनिर्भर कृषि’  और “निवेश का अवसर” बनाकर भारत को विश्व का “फूड बास्केट” बनाने का एक आकांक्षात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

पशुपालन एवं डेयरी के सचिव अतुल चतुर्वेदी ने किसानों के लिए पशुधन पालन की तुलना एटीएम मशीन से करते हुए कहा कि कोई भी उत्पाद खुदरा विक्रेता तक दूध जितना तेजी से नहीं पहुंचता है। हालांकिभारत में दूध की प्रति व्यक्ति खपत अभी भी केवल 394 ग्राम प्रतिदिन हैजबकि अमेरिका और यूरोप में 500-700 ग्राम प्रति दिन है।

चतुर्वेदी ने कहा कि भारत सरकार ने पशुपालन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं और इनमें एफएमडी के लिए एक साल में एक बिलियन वैक्सीन की खुराक भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि 2018 में डेयरी इन्फ्रा डेवलपमेंट फंड और पशुपालन इंफ्रा डेवलपमेंट फंड जैसे कई प्रोत्साहनों की घोषणा की गई है।

मत्स्य पालन को एक उदीयमान क्षेत्र के रूप में बताते हुएमत्स्य पालन सचिव -डॉ राजीव रंजन ने कहा कि भारत अब दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक है और चौथा सबसे बड़ा समुद्री खाद्य निर्यातक है। उन्होंने अगले पाँच वर्षों में इस क्षेत्र में भारत सरकार के प्रमुख लक्ष्यों के बारे में बताया।

डॉ. राजीव रंजन ने इस क्षेत्र में अगले पांच वर्षों के लिए भारत सरकार के प्रमुख लक्ष्यों के बारे में बताया- मछली उत्पादन को 2018-19 में 137.58 लाख टन से बढ़ाकर 2024-25 में 220 लाख टन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 2024-25 में औसत जलकृषि उत्पादकता को 3.3 टन/ हेक्टेयर से बढ़ाकर 5.0 टन/ हेक्टेयर करने का लक्ष्य, मत्स्य पालन निर्यात को 2024-25 तक 1 लाख करोड़ रुपये और 2028 तक 2 लाख करोड़ रुपये करने और रोजगार सृजन को 2018-19 में लगभग 15 लाख से बढ़ाकर 2024-25 में लगभग 55 लाख करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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