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शाह ने एनसीडीएफआई मुख्यालय की रखी आधारशिला

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुजरात के गांधीनगर में नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एनसीडीएफआई) लिमिटेड के मुख्यालय का शिलान्यास किया एवं ई—मार्किट अवॉर्ड 2023 समारोह को संबोधित किया।

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी, इफ़को के अध्यक्ष दिलीप संघाणी, एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉ मीनेश शाह और एनसीडीएफआई के अध्यक्ष डॉ मंगल राय समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने सम्बोधन में अमित शाह ने कहा कि हमारे देश में डेयरी और खासकर कोऑपरेटिव डेयरी सेक्टर ने बहुआयामी लक्ष्यों को हासिल किया है। उन्होंने कहा कि अगर दूध का व्यापार कोऑपरेटिव सेक्टर नहीं करता है तो दूध उत्पादन, एक बिचौलिये और दूध का उपयोग करने वाले तक सीमित रहता है। लेकिन अगर कोऑपरेटिव सेक्टर कोऑपरेटिव तरीके से दूध का व्यापार करता है तो इसमें कई आयाम एक साथ जुड़ जाते हैं, क्योंकि इसमें उद्देश्य मुनाफे का नहीं है और इसका बहुआयामी फायदा समाज, कृषि, गांव, दूध उत्पादक और आखिरकार देश को होता है।

उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 50 साल में इस सफलता की गाथा की अनुभूति की है। गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब कोऑपरेटिव सेक्टर डेयरी का बिजनेस करता है तब सबसे पहला फायदा दूध उत्पादकों को होता है, क्योंकि उनका शोषण नहीं होता है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई अकेला दूध का उत्पादन करता है तो उसके पास दूध के स्टोरेज की क्षमता नहीं होती और वह मार्केट को एक्सप्लोर नहीं कर सकता। लेकिन अगर कोऑपरेटिव सेक्टर दूध का बिजनेस करता है तो गांव और जिला स्तर पर दूध संघ बनते हैं और उनके पास कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग, मार्केट की डिमांड के मुताबिक दूध को उस उत्पाद में कन्वर्ट करने की क्षमता होती है। इससे मुनाफे को कोऑपरेटिव आधार पर दूध उत्पादन करने वाली बहनों के पास पहुंचाने की व्यवस्था भी होती है और इस तरह दूध उत्पादन करने वाली बहनों का शोषण समाप्त हो जाता है।

शाह ने कहा कि अकेला दूध का उत्पादन करने वाला व्यक्ति अपने पशुओं के स्वास्थ्य की चिंता नहीं कर सकता है, लेकिन अगर कोऑपरेटिव तरीके से दूध उत्पादन किया जाए तो जिला दूध उत्पादक संघ पशु की नस्ल सुधार, स्वास्थ्य सुधार और पशुओं के अच्छे आहार की भी व्यवस्था करता है। तीसरा लाभ यह है कि अगर कोऑपरेटिव सेक्टर के जरिए दूध का बिजनेस होता है तो यह पोषण आंदोलन से स्वत: जुड़ जाता है।

अमित शाह ने कहा कि भारत की डेयरियों ने दूध उत्पादन में विश्व में देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि 1946 में जब गुजरात में एक डेयरी ने शोषण शुरू किया तो इसके खिलाफ सरदार वल्लभभाई पटेल ने त्रिभुवन भाई को प्रेरित किया और 1946 में 15 गांवों में छोटी-छोटी डेयरी की शुरुआत हुई।

उन्होंने कहा कि 1946 में शोषण के खिलाफ हुई एक छोटी सी शुरुआत विराट आंदोलन में परिवर्तित हुई और इसी से देश में श्वेत क्रांति का विचार आया और एनडीबीबी का उद्भव हुआ। उन्होंने कहा कि आज देश भर में विकसित होकर अनेक कोऑपरेटिव डेरियाँ बनी है। अमूल प्रतिदिन लगभग 40 मिलियन लीटर दूध की प्रोसेसिंग करता है और 36 लाख बहनें दूध का भंडारण करती हैं और हर सप्ताह उन्हें उत्पादित दूध की कीमत मिल जाती है। शाह ने कहा कि 2021-22 में अमूल फेडरेशन का टर्नओवर 72000 करोड़ रुपए का है।

शाह ने एनसीडीएफआई को प्राकृतिक खेती की दिशा में कदम आगे बढ़ाना चाहिए। अमूल ने इसका बहुत अच्छा प्रयोग किया है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से हमने राष्ट्रीय स्तर पर एक बहु राज्य सहकारी ऑर्गेनिक संस्था बनाई है जो ऑर्गेनिक प्रोडक्ट के मार्केटिंग का काम करेगी। इसके साथ लोगों के जुड़ने की शुरुआत हो चुकी है। इस मॉडल को अडॉप्ट करते हुए आज एक ऑर्गेनिक कोऑपरेटिव देश के अंदर आर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा दे रही है। इसके साथ-साथ एक्सपोर्ट के लिए भी एक कोऑपरेटिव बनाई है क्योंकि दुनिया में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का बाजार बहुत बड़ा भी है, महंगा भी है। अगर दुनिया महंगा ऑर्गेनिक प्रोडक्ट खाना चाहती है तो भारत को भेजने में देरी नहीं करनी चाहिए।

सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमने एक बीज कोऑपरेटिव भी बनाई है जो भारतीय बीजों का संरक्षण और संवर्धन करेगी। आज बीज बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां बड़े किसानों के पास ही जाती है। अगर किसी के पास दो एकड़ भूमि भी है तो वह पैक्स के माध्यम से वहां तक पहुंचेगी और किसानों को बीज की खेती के साथ भी जोड़ेगी। इससे किसान का मुनाफा बढ़ेगा।

उन्होंने एनसीडीएफआई से आग्रह किया कि इसके लिए एक अच्छे मॉडल को एक नोडल एजेंसी के रूप में हर जिला संघ तक पहुंचाएं। अगर कोई जिला संघ उसे अडॉप्ट करना चाहे तो उसे गाइड करने के लिए टीम का गठन हो और जो सफलता एक जिले में मिली है वह भारत के हर जिले में मिलनी चाहिए।

शाह ने कहा कि ई-नीलामी मंच, रिवर्स नीलामी और फॉरवर्ड नीलामी भी अब प्रदान की जाने वाली है और एनसीडीएफआई के ई-मार्केट पोर्टल पर एक लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद की व्यवस्था भी है। इसी प्रकार आगामी 4 जनवरी को नेफेड का ऐप लॉन्च होने वाला है, जिसमें भारत में अगर कोई किसान कितनी भी दलहन पैदा करे, नेफेड उस पूरे उत्पाद को एमएसपी से एक रुपये अधिक दर पर खरीदेगा।

उन्होंने कहा कि हम तिलहन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, इसलिए नेफेड को यह काम सौंपा गया है। नेफेड के ऐप पर किसान रजिस्टर करके दलहन की खेती करेगा और सारी की सारी दलहन एमएसपी प्लस वन रुपये की दर पर नेफेड खरीदेगी।

 

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