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नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति में राज्यों को मिले समान अधिकार: शाह

नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का मसौदा तैयार करने के लिए गठित राष्ट्रीय स्तर की समिति के अध्यक्ष सुरेश प्रभु ने नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह को एक प्रस्तुति दी।

बैठक में दिलीप संघानी, अध्यक्ष, एनसीयूआई, के वी शाहजी, अध्यक्ष, नाबार्ड, ज्योतिंद्र मेहता, अध्यक्ष, नेफकॉब, पी के अग्रवाल, वित्तीय सलाहकार, सहकारिता विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश के डॉ. उमाकांत दास, निदेशक, ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आणंद (इरमा), सतीश मराठे, निदेशक, आरबीआई, डॉ. सी पिचाई, प्रोफेसर, गांधीग्राम ग्रामीण विश्वविद्यालय, डॉ. हेमा यादव, निदेशक, वेमनिकॉम सहित समिति के अन्य सदस्यों ने भी भाग लिया।

बैठक में सहकारिता मंत्रालय के सचिव और अतिरिक्त सचिव सहित मंत्रालय के अन्य अधिकारियों ने भी भाग लिया।

प्रस्तुति के दौरान, समिति के सदस्यों ने केन्द्रीय सहकारिता मंत्री को मसौदा नीति के उद्देश्यों, विज़न और मिशन के साथ-साथ संरचनात्मक सुधारों और शासन, वायब्रेंट आर्थिक संस्थाओं के रूप में सहकारी समितियों, सहकारी समितियों के लिए समान अवसर, पूंजी के स्रोतों, प्राथमिकता वर्गों को शामिल करना, प्रौद्योगिकी का उपयोग, अपस्किलिंग और प्रशिक्षण, स्थिरता और कार्यान्वयन योजना सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख सिफारिशों के बारे में जानकारी दी।

बैठक के दौरान, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विज़न को प्राप्त करने और नई नीति के माध्यम से जमीनी स्तर पर सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के बारे में समिति सदस्यों का मार्गदर्शन किया। श्री अमित शाह से मिले मार्गदर्शन के अनुसार समिति एक संशोधित मसौदा तैयार करेगी। राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राष्ट्रीय सहकारी समितियों आदि सभी हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद जुलाई, 2023 में नई सहकारिता नीति की घोषणा होने की संभावना है।

पाठकों को याद होगा कि नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का मसौदा तैयार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन 02 सितंबर, 2022 को केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में किया गया था। वर्तमान सहकारिता नीति 2002 में तैयार की गई थी और बदलते आर्थिक परिदृश्य के मद्देनज़र एक नई नीति की आवश्यकता महसूस की गई।

मसौदा समिति के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु हैं और इसमें देशभर से 49 सदस्य चुने गए हैं जिनमें विभिन्न हितधारक जैसे राज्य सहकारिता विभागों, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, के अधिकारी इरमा, आरबीआई जैसे संस्थान, इफ्को, एनसीसीएफ, नेफकॉर्ड, नेफकॉब, कृभको, एनसीयूआई, नेफेड जैसे राष्ट्रीय महासंघ और विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी समितियों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद और विशेषज्ञ आदि शामिल हैं।

नीति के मसौदे के लिए विभिन्न हितधारकों और आम जनता से 500 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए थे। राष्ट्रीय स्तर की समिति की इसके गठन के बाद 8 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं और इसने मसौदा तैयार करने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श भी किया है।

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