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सहकारी बैंकिंग मामला: शाह ने बुलाई बैठक; वित्त मंत्री मौजूद

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली में सहकारी बैंकों के सामने आ रही समस्याओं से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बैठक बुलाई। इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार समेत अन्य लोग उपस्थित थें।

बैठक में सहकारी बैंकों के सामने आ रही कठिनाइयों से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया और इन समस्याओं को दूर करने के संभावित उपायों पर भी चर्चा की गई।

बैठक में सहकारी क्षेत्र से संबंधित सभी लंबित मुद्दों पर भारत सरकार की नीति के अनुसार विस्तार से चर्चा की गई कि सहकारिता क्षेत्र को लाभार्थी और सहभागी, दोनों के रूप में अन्य आर्थिक संस्थाओं के समान माना जाए।

बैठक के प्रारंभ में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए बजट में आयकर संबंधित और सहकारी चीनी क्षेत्र को राहत देने वाली घोषणाओं के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनन्दन किया। बैठक के अंत में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने सहकारी क्षेत्र को गति और निरंतर समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार व्यक्त किया।

गौरतलब है कि नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में अमित शाह से मुलाकात की थी और सहकारी बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े मुद्दों की एक सूची सौंपी थी।

भारतीय सहकारिता से बात करते हुए, मेहता ने कहा, “फिलहाल मुझे जानकारी नहीं है कि नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली में आयोजित बैठक में किन सब मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन मैं एक बात जरूर जानता हूं कि अमितभाई क्रेडिट को-ऑप संरचना को आम आदमी को सशक्त बनाने के सबसे प्रभावी साधनों में से एक मानते हैं।”

यूसीबी के जुड़े कई मुद्दे हैं जिन्हें जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए। सबसे बड़ा मुद्दा प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग से संबंधित है, जो उन अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है, जो टियर -2 और टियर 3 के अंतर्गत आते हैं, उन्होंने कहा।

एक अन्य मुद्दे में आरबीआई में सहकारी बैंकों के लिए एक डिप्टी गवर्नर के पद से संबंधित हैं, क्योंकि देश में कुल 2613 बैंकों में से 2515 सहकारी बैंक हैं।

इसके अलावा, डीआईसीजीसी अधिनियम में संशोधन के कारण अगले एक साल में लगभग 100 यूसीबी बैंकिंग लाइसेंस खो सकते हैं। अन्य मांगों में, आरबीआई को नए सहकारी बैंकों का लाइसेंस देना चाहिए, यूसीबी को गोल्ड लोन में वाणिज्यिक बैंकों की तरह स्वतंत्रता देनी चाहिए आदि, शामिल हैं।

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