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नेफेड और एनसीसीएफ को लाल प्याज खरीदी का आदेश

केंद्र ने भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) को निर्देश दिया है कि कीमतों में गिरावट की खबरों को देखते हुए वो लाल प्याज की खरीद को बढ़ाने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करें और साथ ही देश भर में फैले खपत केंद्रों तक उन्हें उसी समय भेजने और बिक्री का काम करें।

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि नेफेड ने तुरंत कार्रवाई की है और 24 फरवरी, 2023 को खरीद शुरू कर दी और जानकारी दी गई है कि पिछले दस दिनों में 900 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक की दर पर सीधे किसानों से लगभग 4000 मीट्रिक टन की खरीद की गई है।

इसने 40 खरीद केंद्र खोले हैं जहां किसान अपना स्टॉक बेच सकते हैं और अपना भुगतान ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। नेफेड ने स्टॉक को खरीद केंद्रों से दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और कोच्चि ले जाने की व्यवस्था की है।

2022-23 के दौरान प्याज का लगभग 318 एलएमटी उत्पादन होने का अनुमान है, जो पिछले साल के 316.98 एलएमटी के उत्पादन से अधिक है। निर्यात के साथ-साथ मांग और आपूर्ति में निरंतरता के कारण कीमतें स्थिर रहीं। हालांकि फरवरी के महीने में लाल प्याज की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है, विशेष रूप से महाराष्ट्र राज्य में जहां औसत दर घटकर 500 -700 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई। विशेषज्ञ कीमतों में इस गिरावट की मुख्य वजह अन्य राज्यों में उत्पादन में बढ़त को बता रहे हैं जिससे देश के प्रमुख उत्पादक जिले जैसे नासिक से आपूर्ति पर निर्भरता कम हुई है।

प्याज सभी राज्यों में उगाया जाता है, हालांकि देश के कुल उत्पादन में लगभग 43 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ महाराष्ट्र सबसे बड़ा उत्पादक है, मध्य प्रदेश की 16 प्रतिशत, कर्नाटक और गुजरात की 9 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। वर्ष में 3 बार खरीफ, पछेती खरीफ और रबी के दौरान फसल के मौसम में पैदावार प्राप्त होती है।

रबी की फसल सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका राष्ट्रीय उत्पादन में लगभग 72 -75 प्रतिशत योगदान होता है और मार्च से मई महीने के दौरान उपज प्राप्त की जाती है। रबी की फसल को सबसे ज्यादा समय तक रखा जा सकता है और इसका संग्रह किया जा सकता है जबकि खरीफ और पछेती खरीफ की फसल सीधी खपत के लिए होती है ये संग्रह के लायक नही होती। देश भर से अलग अलग समय में प्याज की फसल प्राप्त होने से पूरे वर्ष ताजा/गोदाम में रखे प्याज की नियमित आपूर्ति मिलती है। लेकिन कभी-कभी मौसम की मार के कारण या तो गोदाम में रखा प्याज खराब हो जाता है या खेतों में फसल नष्ट हो जाती है जिससे आपूर्ति बाधित होती है और घरेलू कीमतों में वृद्धि होती है।

ऐसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए, भारत सरकार ने प्याज की खरीद और बफर के रूप में भंडारण के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की है ताकि कम उत्पादन के समय के दौरान आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखा जा सके।

पिछले साल उपभोक्ता कार्य विभाग के निर्देश के तहत नेफेड ने बफर स्टॉक के लिए 2.51 एलएमटी रबी प्याज खरीदा था। समय पर और सोच समझ कर प्याज की आपूर्ति ने सुनिश्चित किया कि कीमतें असामान्य रूप से नहीं बढ़ें। सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गोदाम में रखे प्याज की आपूर्ति पूरे देश में की गई। इस साल भी उपभोक्ता कार्य विभाग ने 2.5 एलएमटी प्याज को बफर स्टॉक के रूप में रखने का फैसला किया है।

प्याज का भंडारण चुनौतीपूर्ण है क्योंकि अधिकांश स्टॉक को खुले मैदानों में खुली हवादार संरचनाओं (चॉल) में संग्रहीत किया जाता है और इस तरह के भंडारण की अपनी चुनौतियां हैं।  इसी वजह से प्याज को लंबे समय तक इस्तेमाल के लायक बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक कोल्ड चेन स्टोरेज की आवश्यकता है, जिनका परीक्षण जारी है। इस तरह के परीक्षणों की सफलता हाल ही में मूल्यों में दर्ज हुए उतार-चढ़ाव से बचने में मदद करेगी। बाजार पर नजर रखने वाले निर्यात नीति में भी निरंतरता का सुझाव देते हैं, क्योंकि इससे भारतीय प्याज के लिए एक बेहतर निर्यात बाजार सुनिश्चित होगा।

कृषि और किसान कल्याण विभाग राज्य सरकारों के साथ लगातार संपर्क में है और बाजार पर कड़ी नजर रख रहा है ताकि किसानों के लाभ के लिए यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त कदम उठाए जा सकें।

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