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संघानी ने मलेशिया में को-ऑप की भूमिका को किया उजागर

इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी और तरुण भार्गव का स्वागत करते हुए, मलेशिया स्थित अंगकासा के अध्यक्ष दातुक सेरी डॉ अब्दुल फत्ताह अब्दुल्ला ने कहा कि इफको के साथ अंगकासा द्विपक्षीय सहयोग की आशा करता है ताकि दोनों देशों के बीच नए व्यावसायिक अवसरों को अनलॉक किया जा सके।

पाठकों को याद होगा कि संघानी ने इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस के एक क्षेत्रीय संगठन आईसीएओ के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया है और समर्थन के लिए वह विभिन्न देशों का दौरा कर रहे हैं। इस श्रृंखला में उन्होंने हाल ही में मलेशिया और थाईलैंड का दौरा किया।

मलेशिया में इफको के प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अंगकासा के अध्यक्ष ने कहा कि, यह अद्भुत क्षण है कि दुनिया की दिग्गज सहकारी संस्था इफको रणनीतिक सहयोग पर चर्चा कर रही है। इससे दोनों देशों के सहकारी आंदोलन को बल मिलेगा।

इस मौके पर संघानी ने सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया। “किसानों को समृद्ध बनाने के लिए समय पर उच्च गुणवत्ता वाले कृषि आदानों की आपूर्ति कराना और सर्वश्रेष्ठ कृषि मॉडल को देश में लागू करना मेरा मुख्य लक्ष्य है। और यह सहकारिता के माध्यम से संभव है”, संघानी ने अपने विचार रखते हुए कहा।

बाद में, भारतीय सहकरिता से बात करते हुए संघानी ने कहा, “भारत में लगभग 65 से 70 प्रतिशत आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि के साथ-साथ सहकारी समितियों पर निर्भर है। सहकारी समितियों में किसानों की अहम भूमिका होती है। भारत में सहकारी संस्थाओं की बड़ी संख्या हैं। मेरा विश्वास है कि हम सब मिलकर सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने पर काम करेंगे। मेरी संस्कृति ने मुझे ‘वसुधैव कुटुंबकम’ अर्थात ‘सारा संसार हमारा परिवार सिखाया है। मैं इसी विचार को ध्यान में रखकर विश्व के सहकारी आंदोलन को नई गति प्रदान करना चाहता हूं।”

उन्होंने बातचीत में महिला सशक्तिकरण और युवा भागीदारी पर भी जोर दिया और कहा कि मैं सतत विकास के लिए सहकारी योगदान के केंद्र में सहकारी समितियों और लिंग और समानता में महिलाओं के लिए अधिक से अधिक पहुंच सुनिश्चित करूंगा। भारत युवाओं का देश है और इसलिए हम हर योजना में उन्हें जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हम विश्व स्तर पर युवाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ मॉडल विकसित कर सकते हैं। संघानी ने रेखांकित किया कि सहकारिता युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान कर सकती है।

संघानी ने सहकारी बैंकिंग, सांप्रदायिक सद्भाव, कोविड 19 और लोकतंत्र की भावना जैसे विषयों पर भी प्रकाश डाला। किसी भी कार्य जैसे स्टार्ट-अप, कृषि, मछली पकड़ने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों को पूरे सहकारी ढांचे के लिए एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में कार्य करना होगा।

“भारत एक शांतिप्रिय देश है, युद्ध के पक्ष में कभी नहीं रहा। मेरा दृढ़ विश्वास है कि युद्ध समस्या का समाधान नहीं है। मैं यह उद्धृत करना पसंद करता हूं कि ‘सहकारिता’ का अर्थ सहयोग के साथ जीना है”, संघानी ने कहा।

उन्होंने अमूल, इफको, कृभको, नेफेड, एनसीयूआई जैसे अन्य सहकारी संगठनों के विशेष योगदान का भी जिक्र करते हुए कहा कि कोविड-19 के दौरान इन सभी संस्थानों ने अहम भूमिका अदा की थी। मैं लोकतंत्र में दृढ़ विश्वास रखता हूं। संघानी ने कहा कि लोगों द्वारा निर्वाचित होना समाज के प्रति एक बड़ी जिम्मेदारी है, जहां लोग आप पर विश्वास करते हैं।

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