ताजा खबरें

फिशकोफेड: रजिस्ट्रार का आदेश निरस्त; सांधे नहीं रहेंगे अध्यक्ष

फिशकोफेड चुनाव के मामले में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले हफ्ते केंद्रीय रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसायटी के उस आदेश को रद्द किया है, जिसमें रजिस्ट्रार ने रामदास संधे को फिशकोफेड का कार्यवाहक अध्यक्ष और मुकेश को एमडी (प्रभारी) के रूप में नियुक्त किया था।

हालांकि अदालत ने चुनाव प्रक्रिया की वैधता पर कोई टिप्पणी नहीं की है और कोर्ट ने केवल संधे और मुकेश की नियुक्ति के आदेश को रद्द किया है। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनाव पर यथास्थिति तब तक बनी रहेगी जब तक आर्बिट्रेटर किसी निर्णय पर नहीं पहुंचता।

गौरतलब है कि इस साल फरवरी में फिशकोफेड का चुनाव हुआ था लेकिन अनियमितताओं की शिकायतों के मद्देनजर सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार विवेक अग्रवाल ने चुनाव को निलंबित कर दिया था।

केंद्रीय रजिस्ट्रार ने सुनील कुमार सिंह, अतिरिक्त प्रबंध निदेशक, नेफेड, नई दिल्ली को मध्यस्थ के रूप में और रामदास संधे को कार्यवाहक अध्यक्ष तथा मुकेश को एमडी (प्रभारी) के रूप में नियुक्त किया था।

केंद्रीय रजिस्ट्रार के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष निकाय – फिशकोफेड के कुछ नवनिर्वाचित निदेशकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और याचिकाएं दाखिल कीं। उनकी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अदालत ने मार्च में यथास्थिति का आदेश दिया था।

अदालत के फैसले के बाद, अभी तक फिशकोफेड बिना एमडी के है और यह जरूरी है कि मंत्रालय जल्द से जल्द इस मुद्दे पर कोई फैसला ले।

उल्लेखनीय है कि फिशकोफेड में मत्स्यपालन मंत्रालय और एनसीडीसी की 89 प्रतिशत हिस्सेदारी है। फिशकोफेड के बोर्ड सदस्यों के बीच आंतरिक झड़प से इसकी प्रगति पर काफी प्रभाव पड़ा है और कर्मचारियों को पिछले कुछ महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है।

इस बीच, फिशकॉफेड के पूर्व अध्यक्ष और याचिकाकर्ताओं में से एक प्रकाश लोनारे ने दावा किया है कि अदालत ने उनके पक्ष में राहत दी है और नवनिर्वाचित बोर्ड अगले महीने शीर्ष निकाय के मुख्यालय में बैठक करेगा।

लोनारे की टिप्पणी को खारिज करते हुए रामदास संधे ने कहा कि अदालत ने अभी तक नवनिर्वाचित बोर्ड को फिशकोफेड का नियंत्रण लेने की अनुमति नहीं दी है। यह आर्बिट्रेटर द्वारा तय किया जाएगा।

लोनारे पर लोगों को गुमराह करने और अदालत के फैसलों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाते हुए संधे ने याद दिलाया कि अदालत ने सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार द्वारा उनको कार्यवाहक अध्यक्ष और मुकेश को एमडी (प्रभारी) बनाने के आदेश को रद्द कर दिया है।

पाठकों को याद होगा कि केंद्रीय रजिस्ट्रार के आदेश के बावजूद, फिशकोफेड का चुनाव हुआ। निवर्तमान उपाध्यक्ष रामदास संधे ने आरओ की मिलीभगत से टीआर डोरा प्रसाद और बीके मिश्रा द्वारा चुनाव प्रक्रिया में हेरफेर का हवाला देते हुए केंद्रीय रजिस्ट्रार से शिकायत की थी।

पूर्व निदेशकों में से एक ऋषिकेश कश्यप ने आरोप लगाया कि डोरा ने प्रत्येक निवर्तमान निदेशक को आरओ को 1 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा था। कश्यप ने अपनी बात को साबित करने के लिए सबूत होने का भी दावा किया है।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close